4. भारत हमारा ज मदेश है |
ेआजकल जगत् क सबसे मुख
सम या है पयावरण दषण |सम या ह पयावरण दूषण |
पयावरण और कृ त म गहरा
ं ं ै | ईसंबंध है | कृ त ई वर का
वरदान है | इस लए हम इसवरदान ह | इस लए हम इस
कृ त क देख-रेख करना ज़ र
है |है |
5. े•आधु नक युग के व ान क उ न त
के साथ-साथ मानव अपने वाथ
जीवन को बताने के लए उसका
दु पयोग कर रहा है |दु ह ह |
• कृ त और मानव के बीच संतुलन
को इस कार बगड़ कर रहा है |को इस कार बगड़ कर रहा ह |
•फल व प आज का वातावरण इतना
द षत हो गया है क क त औरदू षत हो गया ह क कृ त और
मानव का अि त व ह खतरे म पड़
गया |गया |
•मनु य का काय े जैसे-जैसे बड़ा
उसका दषण का े भी बढ़ता गयाउसका दूषण का भी बढ़ता गया
है |
6.
7. ♣ दूषण वरोधी लड़ाई एक
अ भशाप के प म य तर परश ु तर र
लड़ी ज न चा हए |
♣ हम इस काय म असफल हए तोह इ हु
आनेवाल पी ढ़य को दूषण का
प रणाम को बो य होना चा हए |
♣ पयावरण क सुर ा भी हम एक-
एक का कत य है |
े♣ हम सब पयावरण के लए य न
करती है |
ो े♣ पयावरण को न दू षत करके
ई वर का वरदान समझकर जीना
ै |ज़ र है |
8. संतोष का वषय है क आज पयावरण♣ संतोष का वषय है क आज पयावरण
दूषण क सम या व व म च चत होदू ह
रह है |
♣ इस लए आनेवाल नए पीढ़ इस पर♣ इस लए आनवाल नए पीढ़ इस पर
बोधग य होते ह |
♣ हम सबको मलकर क त क सर ा♣ हम सबको मलकर कृ त क सुर ा
करनी चा हए |
9.
10. इसी तरह के च हम को
पयावरण और कृ त म
गहरा संबंध है |
इसी तरह क च हम को
देख सकते ह |
गहरा सबध ह |
क त हमार माता औरकृ त हमार माता और
सहेल है |
इस लए हमको अपनी
माता के सामान क तमाता क सामान कृ त
का पालन पोषण करना
चा हए |चा हए |