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अध्याय -2
भारतीय संविधान में अवधकार
अवधकार
अवधकार िे हक हैं । जो एक आम आदमी को जीिन जीने के विए चावहए , वजसकी िो मांग करता
हैं ।
अवधकारों का घोषणा पत्र
अवधकतर िोकतान्त्रिक देशों में नागररकों के अवधकारों को संविधान में सूचीबद्ध कर वदया जाता
हैं । ऐसी सूची को अवधकारों का घोषणा पत्र कहते हैं । वजसकी मांग 1928 में नेहरू जी ने उठाई
थी ।
भारतीय संविधान में मौविक अवधकार
भारत के स्वतिता आंदोिन के दौरान क्ांवतकाररयों / स्वतिता नायको द्वारा नागररक अवधकारों
की मांग समय –समय पर उठाई जाती रही हैं । 1928 में भी मोतीिाि नेहरू सवमवत ने अवधकारों
के एक घोषणा पत्र की मांग उठाई थी । विर स्वतिता के बाद इन अवधकारों मे से अवधकांश को
संविधान में सूचीबद्ध कर वदया गया । 44 िें संविधान संशोधन द्वारा संपवि के अधकार को मौविक
अवधकारों की सूची से वनकाि वदया गया ।
सामान्य अवधकार
िे अवधकार जो साधारण कानूनों की सहायता से िागू वकए जाते हैं तथा इन अवधकारों में संसद
कानून बना कर के पररिततन कर सकते हैं ।
सामान्य अवधकार
ये अवधकार जो साधारण कानूनों की सहायता से िागू वकए जाते हैं तथा इन अवधकारों में संसद
कानून बना कर करके पररिततन कर सकती हैं ।
मौविक अवधकार
िे अवधकार जो संविधान में सूचीबद्ध वकए गए हैं तथा वजनको िागू करने के विए विशेष प्रािधान
वकए गए हैं । इनकी गारंटी एिं सुरक्षा स्वयं संविधान करता हैं । इन अवधकारों में पररिततन करने
के विए संविधान में संशोधन करना पड़ता हैं । सरकार का कोई भी अंग मौविक अवधकारों के
विरूद्ध कोई कायत नहींकर सकता ।
भारतीय संविधान के भाग तीन में िवणतत छ: मौविक अवधकार हैं :
2
1 समानता का अवधकार (14 – 18 अनुच्छेद )
2 स्वतिता का अवधकार (19 -22 अनुच्छेद)
3 शोषण के विरुद्ध अवधकार (23 – 24 अनुच्छेद)
4 धावमतक स्वतिता का अवधकार (25 – 28 अनुच्छेद)
5 संस्कृ वत एिं वशक्षा संबंधी (29 – 30 अनुच्छेद)
6 संिैधावनक उपचारों का अवधकार ( अनुच्छेद 32)
1 समता का अवधकार
अनुच्छेद -14
गारंटी कानूनी समता और समान कानूनी सुरक्षा प्राप्त करना वबना वकसी भेद भाि के
अनुच्छेद –15
सरकार – धमत जावत, विंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाि मुक्त समाज की स्थापना ।
अनुच्छेद –16
साितजवनक वनयुन्त्रक्तयों में अिसर की समानता
अनुच्छेद –17
समाज से छुआछुत की समान्त्रप्त
अनुच्छेद –18
सैवनक एिं शैवक्षक उपावधयों के अिािा अन्य उपावधयों पर रोक
2 स्वतिता का अवधकार (19 -22 अनुच्छेद)
अनुच्छेद –19
स्वतिता – भाषण एिं अवभव्यन्त्रक्त , संघ बनाने , सभा करने, भारत भर में भ्रमण करने , भारत के
वकसी भाग में बसने और स्वतिता पूितक कोई भी व्यिसाय करने की ।
अनुच्छेद –20
अपराध में अवभयुक्त या दंवित व्यन्त्रक्त को संरक्षण प्रदान करना ।
3
अनुच्छेद –21
कानूनी प्रवक्या के अवतररक्त वकसी भी व्यन्त्रक्त को जीने की स्वतिता से िंवचत नहीं वकया जा
सकता । अनुच्छेद 2 1 (क ) – RTE, 2002, 86 िां संविधान संशोधन वशक्षा मौविक अवधकार, िषत
6 से 14 आयु मुफ्त ि अवनिायत वशक्षा ।
अनुच्छेद –22
वकसी भी नागररक की विशेष मामिों में वगरफ्तारी एिं वहरासत से सुरक्षा प्रदान करना ।
93 िें संविधान संशोधन (2002) द्वारा वशक्षा के अवधकार को अनुच्छेद 211 (ए ) में जोड़ा गया ।
3 शोषण के विरुद्ध अवधकार (23 – 24 अनुच्छेद)
अनुच्छेद –23
मानि व्यापार (तस्करी ) और बि प्रयोग द्वारा बेगारी , बंधुआ मजदू री पर प्रवतबंध – जब भारत
आजाद हुआ तब भारत के कई भागों में दासता और बेगार प्रथा प्रचवित थी । जमींदार वकसानों से
काम करिाते थे , परंतु मजदू री नहीं देते थे । विशेषकर न्त्रियों को पशुओं की तरह खरीदा और
बेचा जाता था ।
अनुच्छेद –24
खदानों , कारखानों और खतरनाक कामों में बच्ों की मनाही ।
14 िषत से कम आयु के बच्ों को वकसी भी जोन्त्रखम िािे काम पर नहीं िगाया जाएगा , जैसे
खदानों में कारखानों में इत्यावद ।
4 धावमतक स्वतिता का अवधकार (25 – 28 अनुच्छेद)
अनुच्छेद –25
अपने – अपने धमत को मानने , पािन करने एिं प्रचार –प्रसार करने का अवधकार ।
अनुच्छेद –26
संगवठत इकाई के रूप में धावमतक तथा परोपकारी कायत करने िािे संस्थानों को स्थावपत करने का
अवधकार
अनुच्छेद –27
धमत प्रचार एिं धावमतक संप्रदाय की देख –रेख के विए कर देने के विए मजबूर नहीं वकया जाएगा ।
4
अनुच्छेद –28
अनुच्छेद वकसी भी सरकारी वशक्षण संस्था में कोई धावमतक वशक्षा नहीं दी जाएगी ।
5 संस्कृ वत एिं वशक्षा संबंधी (29 – 30 अनुच्छेद)
अनुच्छेद –29
भारत के वकसी भी राज्य के नागररकों को अपनी विशेष भाषा , विवप या संस्कृ वत को बनाए रखने
को अवधकार देता हैं ।
अनुच्छेद –30
इसके अंतगतत भाषा तथा धावमतक अल्प संख्यकों को वशक्षा संस्थाओं की स्थापना तथा उनकी
प्रशासन को चिाने का अवधकार प्रदान करते हैं ।
6 संिैधावनक उपचारों का अवधकार ( अनुच्छेद 32)
अनुच्छेद –32
संविधान के जनक िॉ. अंबेिकर ने इस अवधकार को संविधान का हृदय और आत्मा की संज्ञा दी
गई हैं । इसके अंतगतत न्यायिय कई विशेष आदेश जारी करते हैं । वजन्हें ररट कहते हैं ।
ररट
1 बंदी प्रत्यक्षीकरण ( हबीस कापतस )
2 परमादेश ( मंिामस )
3 प्रवतषेद ( प्रोवहबीशन )
4 अवधकार पृच्छा ( क्वो िारंट )
5 उत्प्रेषण ( सरवशयोररी )
6 संिैधावनक उपचारों का अवधकार
दवक्षण अफ्रीका का संविधान वदसंबर 1996 में िागू हुआ, जब रंगभेद िािी सरकार हटने के बाद
देश गृहयुध के खतरे से जूझ रहा था, दवक्षण अफ्रीका में अवधकारों को घोषणा पत्र प्रजाति की
आधारशीिा हैं ।
दवक्षण – अफ्रीका के संविधान में सूचीबद्ध प्रमुख अवधकार
1 गररमा का अवधकार
5
2 वनजता का अवधकार
3 श्रम- संबंधी समुवचत व्यिहार का अवधकार
4 स्वास्थ्य पयातिरण और संरक्षण का अवधकार
5 समुवचत आिास का अवधकार
6 स्वस्थ्य सुविधाएं भोजन, पानी और सामावजक सुरक्षा का अवधकार ।
7 बाि अवधकार
8 बुवनयादी और उच् वशक्षा का अवधकार
9 सूचना प्राप्त करने का अवधकार
10 सांस्कृ वतक, धावमतक और भाषाई समुदायों का अवधकार
राज्य के नीवत – वनदेशक तत्व क्या हैं ?
स्वतंत्र भारत में सभी नागररकों में समानता िाने और सबका कल्याण करने के विए मौविक
अवधकारों के अिािा बहुत से वनयमों की जरूरत थी । राज्य की नीवत वनदेशक तत्वों के तहत ऐसे
ही नीवतगत वनदेश सरकारों को वदये गए हैं , वजनको न्यायिय में चुनौती नहीं दी जा सकती हैं परंतु
इन्हें िागू करने के विए सरकार से आग्रह वकया जा सकता हैं । सरकार का दावयत्व हैं वक वजस
सीमा तक इन्हें िागू कर सकती हैं करें ।
प्रमुख नीवत वनदेशक तत्वों की सूची में तीन प्रमुख बातें हैं –
1 िे िक्ष्य और उद्देश्य जो एक समाज के रूप में हमें स्वीकार करने चावहए ।
2 ये अवधकार जो नागररकों को मौविक अवधकारों के अिािा वमिने चावहए ।
3 िे नीवतयााँ वजन्हें सरकार को स्वीकार करना चावहए ।
नागररकों के मौविक कततव्य
1976 में 42 िें संविधान संशोधन द्वारा नागररकों के मौविक कततव्यों की सूची (अनुच्छेद -51 (क)
का समािेश वकया गया हैं । इसके अंतगतत नागररकों के दस मौविक कततव्य हैं ।
1 संविधान का पािन करना, राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करना ।
2 राष्ट्रीय आंदोिन को प्रेररत करने िािे उच् आदेशों को हृदय में संजोए रखना और उनका
पािन करना ।
6
3 भारत की संप्रभुता , एकता और अखंिता की रक्षा करना ।
4 राष्ट्र रक्षा एिं सेिा के विए तत्पर रहना ।
5 नागररकों में भाईचारे का वनमातण करना ।
6 हमारी सामावजक संस्कृ वत की गौरिशािी परंपरा के महत्व को समझे और उसको बनाए
रखे ।
7 प्राकृ वतक पयातिरण का संरक्षण करें ।
8 िैज्ञावनक दृवष्ट्कोण, मानििाद और ज्ञानाजतन तथा सुधार की भािना का विकास करें ।
9 साितजवनक संपवि को सुरवक्षत रखे स्वच्छ भारत अवभयान को सिि बनाए और वहंसा से दू र
रहे ।
10 व्यन्त्रक्तगत और सामूवहक गवतविवधयों के सभी क्षेत्रों में उत्कषत की ओर बढ्ने का प्रयास करें ।
नीवत वनदेशक तत्वों और मौविक अवधकारों में संबंध
1 दोनों एक दू सरे के पूरक हैं । जहां मौविक अवधकार सरकार के कु छ कायों पर प्रवतबंध िगते
हैं , िहीं नीवत वनदेशक तत्व उसे कु छ कायों को करने की प्रेरणा देते हैं ।
2 मौविक अधकार खास तौर पर व्यन्त्रक्त के अवधकारों को संरवक्षत करते हैं । िहीं पर नीवत
वनदेशक तत्व पूरे समाज के वहट की बात करते हैं ।
नीवत – वनदेशक तत्वों एिं मौविक में अंतर
मौविक अवधकारों को कानूनी सहयोग प्राप्त हैं परंतु नीवत वनदेशक तत्वों को कानूनी सहयोग
प्राप्त नहीं हैं । अथातत मौविक अवधकारों का उल्लन्घन पर आप न्यायिय में जा सकते हैं परंतु
नीवत वनदेशक तत्वों के उल्लंघन पर न्यायिय नहींजा सकते हैं ।
मौविक अवधकारों का संबंध व्यन्त्रक्तयों और वनदेशक वसद्धांत का संबंध समाज से हैं ।
मौविक अवधकार प्राप्त वकए जा चुके हैं जबवक वनदेशक वसद्धांतों को अभी िागू नहीं वकया
गया ।
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  • 1. 1 अध्याय -2 भारतीय संविधान में अवधकार अवधकार अवधकार िे हक हैं । जो एक आम आदमी को जीिन जीने के विए चावहए , वजसकी िो मांग करता हैं । अवधकारों का घोषणा पत्र अवधकतर िोकतान्त्रिक देशों में नागररकों के अवधकारों को संविधान में सूचीबद्ध कर वदया जाता हैं । ऐसी सूची को अवधकारों का घोषणा पत्र कहते हैं । वजसकी मांग 1928 में नेहरू जी ने उठाई थी । भारतीय संविधान में मौविक अवधकार भारत के स्वतिता आंदोिन के दौरान क्ांवतकाररयों / स्वतिता नायको द्वारा नागररक अवधकारों की मांग समय –समय पर उठाई जाती रही हैं । 1928 में भी मोतीिाि नेहरू सवमवत ने अवधकारों के एक घोषणा पत्र की मांग उठाई थी । विर स्वतिता के बाद इन अवधकारों मे से अवधकांश को संविधान में सूचीबद्ध कर वदया गया । 44 िें संविधान संशोधन द्वारा संपवि के अधकार को मौविक अवधकारों की सूची से वनकाि वदया गया । सामान्य अवधकार िे अवधकार जो साधारण कानूनों की सहायता से िागू वकए जाते हैं तथा इन अवधकारों में संसद कानून बना कर के पररिततन कर सकते हैं । सामान्य अवधकार ये अवधकार जो साधारण कानूनों की सहायता से िागू वकए जाते हैं तथा इन अवधकारों में संसद कानून बना कर करके पररिततन कर सकती हैं । मौविक अवधकार िे अवधकार जो संविधान में सूचीबद्ध वकए गए हैं तथा वजनको िागू करने के विए विशेष प्रािधान वकए गए हैं । इनकी गारंटी एिं सुरक्षा स्वयं संविधान करता हैं । इन अवधकारों में पररिततन करने के विए संविधान में संशोधन करना पड़ता हैं । सरकार का कोई भी अंग मौविक अवधकारों के विरूद्ध कोई कायत नहींकर सकता । भारतीय संविधान के भाग तीन में िवणतत छ: मौविक अवधकार हैं :
  • 2. 2 1 समानता का अवधकार (14 – 18 अनुच्छेद ) 2 स्वतिता का अवधकार (19 -22 अनुच्छेद) 3 शोषण के विरुद्ध अवधकार (23 – 24 अनुच्छेद) 4 धावमतक स्वतिता का अवधकार (25 – 28 अनुच्छेद) 5 संस्कृ वत एिं वशक्षा संबंधी (29 – 30 अनुच्छेद) 6 संिैधावनक उपचारों का अवधकार ( अनुच्छेद 32) 1 समता का अवधकार अनुच्छेद -14 गारंटी कानूनी समता और समान कानूनी सुरक्षा प्राप्त करना वबना वकसी भेद भाि के अनुच्छेद –15 सरकार – धमत जावत, विंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाि मुक्त समाज की स्थापना । अनुच्छेद –16 साितजवनक वनयुन्त्रक्तयों में अिसर की समानता अनुच्छेद –17 समाज से छुआछुत की समान्त्रप्त अनुच्छेद –18 सैवनक एिं शैवक्षक उपावधयों के अिािा अन्य उपावधयों पर रोक 2 स्वतिता का अवधकार (19 -22 अनुच्छेद) अनुच्छेद –19 स्वतिता – भाषण एिं अवभव्यन्त्रक्त , संघ बनाने , सभा करने, भारत भर में भ्रमण करने , भारत के वकसी भाग में बसने और स्वतिता पूितक कोई भी व्यिसाय करने की । अनुच्छेद –20 अपराध में अवभयुक्त या दंवित व्यन्त्रक्त को संरक्षण प्रदान करना ।
  • 3. 3 अनुच्छेद –21 कानूनी प्रवक्या के अवतररक्त वकसी भी व्यन्त्रक्त को जीने की स्वतिता से िंवचत नहीं वकया जा सकता । अनुच्छेद 2 1 (क ) – RTE, 2002, 86 िां संविधान संशोधन वशक्षा मौविक अवधकार, िषत 6 से 14 आयु मुफ्त ि अवनिायत वशक्षा । अनुच्छेद –22 वकसी भी नागररक की विशेष मामिों में वगरफ्तारी एिं वहरासत से सुरक्षा प्रदान करना । 93 िें संविधान संशोधन (2002) द्वारा वशक्षा के अवधकार को अनुच्छेद 211 (ए ) में जोड़ा गया । 3 शोषण के विरुद्ध अवधकार (23 – 24 अनुच्छेद) अनुच्छेद –23 मानि व्यापार (तस्करी ) और बि प्रयोग द्वारा बेगारी , बंधुआ मजदू री पर प्रवतबंध – जब भारत आजाद हुआ तब भारत के कई भागों में दासता और बेगार प्रथा प्रचवित थी । जमींदार वकसानों से काम करिाते थे , परंतु मजदू री नहीं देते थे । विशेषकर न्त्रियों को पशुओं की तरह खरीदा और बेचा जाता था । अनुच्छेद –24 खदानों , कारखानों और खतरनाक कामों में बच्ों की मनाही । 14 िषत से कम आयु के बच्ों को वकसी भी जोन्त्रखम िािे काम पर नहीं िगाया जाएगा , जैसे खदानों में कारखानों में इत्यावद । 4 धावमतक स्वतिता का अवधकार (25 – 28 अनुच्छेद) अनुच्छेद –25 अपने – अपने धमत को मानने , पािन करने एिं प्रचार –प्रसार करने का अवधकार । अनुच्छेद –26 संगवठत इकाई के रूप में धावमतक तथा परोपकारी कायत करने िािे संस्थानों को स्थावपत करने का अवधकार अनुच्छेद –27 धमत प्रचार एिं धावमतक संप्रदाय की देख –रेख के विए कर देने के विए मजबूर नहीं वकया जाएगा ।
  • 4. 4 अनुच्छेद –28 अनुच्छेद वकसी भी सरकारी वशक्षण संस्था में कोई धावमतक वशक्षा नहीं दी जाएगी । 5 संस्कृ वत एिं वशक्षा संबंधी (29 – 30 अनुच्छेद) अनुच्छेद –29 भारत के वकसी भी राज्य के नागररकों को अपनी विशेष भाषा , विवप या संस्कृ वत को बनाए रखने को अवधकार देता हैं । अनुच्छेद –30 इसके अंतगतत भाषा तथा धावमतक अल्प संख्यकों को वशक्षा संस्थाओं की स्थापना तथा उनकी प्रशासन को चिाने का अवधकार प्रदान करते हैं । 6 संिैधावनक उपचारों का अवधकार ( अनुच्छेद 32) अनुच्छेद –32 संविधान के जनक िॉ. अंबेिकर ने इस अवधकार को संविधान का हृदय और आत्मा की संज्ञा दी गई हैं । इसके अंतगतत न्यायिय कई विशेष आदेश जारी करते हैं । वजन्हें ररट कहते हैं । ररट 1 बंदी प्रत्यक्षीकरण ( हबीस कापतस ) 2 परमादेश ( मंिामस ) 3 प्रवतषेद ( प्रोवहबीशन ) 4 अवधकार पृच्छा ( क्वो िारंट ) 5 उत्प्रेषण ( सरवशयोररी ) 6 संिैधावनक उपचारों का अवधकार दवक्षण अफ्रीका का संविधान वदसंबर 1996 में िागू हुआ, जब रंगभेद िािी सरकार हटने के बाद देश गृहयुध के खतरे से जूझ रहा था, दवक्षण अफ्रीका में अवधकारों को घोषणा पत्र प्रजाति की आधारशीिा हैं । दवक्षण – अफ्रीका के संविधान में सूचीबद्ध प्रमुख अवधकार 1 गररमा का अवधकार
  • 5. 5 2 वनजता का अवधकार 3 श्रम- संबंधी समुवचत व्यिहार का अवधकार 4 स्वास्थ्य पयातिरण और संरक्षण का अवधकार 5 समुवचत आिास का अवधकार 6 स्वस्थ्य सुविधाएं भोजन, पानी और सामावजक सुरक्षा का अवधकार । 7 बाि अवधकार 8 बुवनयादी और उच् वशक्षा का अवधकार 9 सूचना प्राप्त करने का अवधकार 10 सांस्कृ वतक, धावमतक और भाषाई समुदायों का अवधकार राज्य के नीवत – वनदेशक तत्व क्या हैं ? स्वतंत्र भारत में सभी नागररकों में समानता िाने और सबका कल्याण करने के विए मौविक अवधकारों के अिािा बहुत से वनयमों की जरूरत थी । राज्य की नीवत वनदेशक तत्वों के तहत ऐसे ही नीवतगत वनदेश सरकारों को वदये गए हैं , वजनको न्यायिय में चुनौती नहीं दी जा सकती हैं परंतु इन्हें िागू करने के विए सरकार से आग्रह वकया जा सकता हैं । सरकार का दावयत्व हैं वक वजस सीमा तक इन्हें िागू कर सकती हैं करें । प्रमुख नीवत वनदेशक तत्वों की सूची में तीन प्रमुख बातें हैं – 1 िे िक्ष्य और उद्देश्य जो एक समाज के रूप में हमें स्वीकार करने चावहए । 2 ये अवधकार जो नागररकों को मौविक अवधकारों के अिािा वमिने चावहए । 3 िे नीवतयााँ वजन्हें सरकार को स्वीकार करना चावहए । नागररकों के मौविक कततव्य 1976 में 42 िें संविधान संशोधन द्वारा नागररकों के मौविक कततव्यों की सूची (अनुच्छेद -51 (क) का समािेश वकया गया हैं । इसके अंतगतत नागररकों के दस मौविक कततव्य हैं । 1 संविधान का पािन करना, राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करना । 2 राष्ट्रीय आंदोिन को प्रेररत करने िािे उच् आदेशों को हृदय में संजोए रखना और उनका पािन करना ।
  • 6. 6 3 भारत की संप्रभुता , एकता और अखंिता की रक्षा करना । 4 राष्ट्र रक्षा एिं सेिा के विए तत्पर रहना । 5 नागररकों में भाईचारे का वनमातण करना । 6 हमारी सामावजक संस्कृ वत की गौरिशािी परंपरा के महत्व को समझे और उसको बनाए रखे । 7 प्राकृ वतक पयातिरण का संरक्षण करें । 8 िैज्ञावनक दृवष्ट्कोण, मानििाद और ज्ञानाजतन तथा सुधार की भािना का विकास करें । 9 साितजवनक संपवि को सुरवक्षत रखे स्वच्छ भारत अवभयान को सिि बनाए और वहंसा से दू र रहे । 10 व्यन्त्रक्तगत और सामूवहक गवतविवधयों के सभी क्षेत्रों में उत्कषत की ओर बढ्ने का प्रयास करें । नीवत वनदेशक तत्वों और मौविक अवधकारों में संबंध 1 दोनों एक दू सरे के पूरक हैं । जहां मौविक अवधकार सरकार के कु छ कायों पर प्रवतबंध िगते हैं , िहीं नीवत वनदेशक तत्व उसे कु छ कायों को करने की प्रेरणा देते हैं । 2 मौविक अधकार खास तौर पर व्यन्त्रक्त के अवधकारों को संरवक्षत करते हैं । िहीं पर नीवत वनदेशक तत्व पूरे समाज के वहट की बात करते हैं । नीवत – वनदेशक तत्वों एिं मौविक में अंतर मौविक अवधकारों को कानूनी सहयोग प्राप्त हैं परंतु नीवत वनदेशक तत्वों को कानूनी सहयोग प्राप्त नहीं हैं । अथातत मौविक अवधकारों का उल्लन्घन पर आप न्यायिय में जा सकते हैं परंतु नीवत वनदेशक तत्वों के उल्लंघन पर न्यायिय नहींजा सकते हैं । मौविक अवधकारों का संबंध व्यन्त्रक्तयों और वनदेशक वसद्धांत का संबंध समाज से हैं । मौविक अवधकार प्राप्त वकए जा चुके हैं जबवक वनदेशक वसद्धांतों को अभी िागू नहीं वकया गया । -----------------------------------------------------------------------------------------------