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संस्कृति
तिषय सूची
1. मूर्ििकला और स्थापत्यकला (Sculpture and Architecture) ................................................................................4
1.1. ललंगराज मंदिर (Lingaraj Temple)........................................................................................................... 4
1.2. सुर्ख़ियों में रहे अन्य मंदिर (Other temples in News) ................................................................................... 5
1.3. सुर्ख़ियों में रहे स्मारक (Monuments in News)............................................................................................ 7
2. तचत्रकला और अन्य कलाएं (Paintings & Other Art Forms)...............................................................................9
2.1. गुफा तचत्रकारी (Cave Paintings) ............................................................................................................ 9
2.2. भारि के पारंपररक तिलौने (India’s Traditional Toys) .............................................................................. 11
2.3. मध्य प्रिेश के िस्त्र तशल्प (Textiles of Madhya Pradesh) .......................................................................... 14
2.4. सुर्ख़ियों में रही अन्य कलाएं (Other Art forms in News)............................................................................. 16
3. नृत्य और संगीि (Dances & Music) ............................................................................................................19
3.1. िेलो इंतिया यूथ गेम्स 2021 में स्ििेशी िेलों का समािेश (Inclusion of Indigenous Sports in Khelo India
Youth Games 2021)................................................................................................................................ 19
3.2. अन्य महत्िपूर्ि सुर्ख़ियां (Other Important News) ..................................................................................... 20
4. भाषा और सातहत्य (Languages and Literature) ..........................................................................................22
4.1. प्रबुद्ध भारि पतत्रका (Prabuddha Bharat Journal)................................................................................... 22
4.2. अन्य महत्िपूर्ि सुर्ख़ियां (Other Important News) ..................................................................................... 22
5. यूनेस्को की पहलें (Initiatives of UNESCO) ..................................................................................................25
5.1. यूनेस्को की तिश्व धरोहर स्थलों की सूची {UNESCO's World Heritage Cities (WHC) List} ........................... 25
5.2. स्रीट हॉकर संस्कृति (Street Hawker Culture) ......................................................................................... 26
6. त्यौहार (Festivals) ..................................................................................................................................29
7. प्राचीन और मध्यकालीन भारि (Ancient & Medieval History).........................................................................32
7.1. गुजिर-प्रतिहार (Gurjara-Pratiharas) ...................................................................................................... 32
7.2. काकिीय िंश (Kakatiya Dynasty)......................................................................................................... 33
7.3. लसंधु घाटी सभ्यिा से िेयरी उत्पािन के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं {Evidence of Dairy Production in the Indus Valley
Civilization (IVC)} .................................................................................................................................... 34
7.4. सादिकपुर तसनौली में उत्िनन (Sadikpur Sinauli Excavations) ................................................................. 37
8. व्यति (Personalities)..............................................................................................................................39
8.1. नेिाजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhas Chandra Bose) ......................................................................... 39
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8.2. ज्योतिबा फु ले (Jyotiba Phule)............................................................................................................... 40
8.3. बाल गंगाधर तिलक (Bal Gangadhar Tilak)............................................................................................ 42
8.4. बाबा बंिा लसंह बहािुर जी की 350िीं जयंिी (350th Jayanti of Baba Banda Singh Bahadur)...................... 42
8.5. पुरंिर िास (Purandara Dasa).............................................................................................................. 43
8.6. सुर्ख़ियों में रहे अन्य प्रमुि व्यति (Other Personalities in News)................................................................. 44
9. ऐतिहातसक घटनाक्रम (Historical Events) ....................................................................................................48
9.1. मालाबार तिद्रोह (Malabar Rebellion) ................................................................................................... 48
9.2. अतिल भारिीय श्रतमक संघ कांग्रेस (All India Trade Union Congress: AITUC)........................................... 49
9.3. तििीय तिश्व युद्ध (World War 2) ............................................................................................................ 50
9.4. दकस्सा ख्िानी बाजार नरसंहार (Qissa Khwani Bazaar Massacre) ........................................................... 51
9.5. अन्य महत्िपूर्ि सुर्ख़ियााँ (Other Important News) ..................................................................................... 51
10. तितिध (Miscellaneous).........................................................................................................................53
10.1. भौगोतलक संकेिक टैग {Geographical Indication (GI) Tag}.................................................................... 53
10.2. तिरासि प्रबंधन (Heritage Management) ............................................................................................ 56
10.3. कुशीनगर (Kushinagar) ..................................................................................................................... 58
10.4. करिारपुर कॉररिोर (Kartarpur Corridor) ............................................................................................. 59
10.5. लद्दाि की भाषा, संस्कृति और भूतम की रक्षा के तलए सतमति का गठन (Committee to Protect Language,
Culture & Land of Ladakh) ...................................................................................................................... 59
10.6. सातहत्य में नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize in Literature)............................................................................ 61
10.7. सुर्ख़ियों में रही जनजातियााँ (Tribes in News).......................................................................................... 61
10.8. पुरस्कार और अिार्डसि (Prize and Awards)............................................................................................ 64
10.9. िेलो इंतिया स्टेट सेंटसि ऑफ एक्सीलेंस (Khelo India State Centres of Excellence: KISCE)....................... 64
10.10. अन्य महत्िपूर्ि सुर्ख़ियााँ (Other Important News) ................................................................................. 65
नोट:
PT 365 (लहंिी) िाक्यूमेंट के अंिगिि, व्यापक िौर पर तिगि 1 िषि (365 दिन) की महत्िपूर्ि समसामतयकी को समेदकि
रूप से किर दकया गया है िादक प्रारंतभक परीक्षा की िैयारी में अभ्यर्थियों को सहायिा तमल सके।
अभ्यर्थियों के तहि में PT 365 िॉक्यूमेंट को और बेहिर बनाने के तलए इसमें तनम्नतलतिि निीन तिशेषिाओं को शातमल
दकया गया है:
1. टॉतपक्स के आसान िगीकरर् और तितभन्न प्रकार की सूचनाओं को रेिांदकि िथा याि करने के तलए इस अध्ययन
सामग्री में तितभन्न रंगों का उपयोग दकया गया है।
2. अभ्यथी ने तिषय को दकिना बेहिर समझा है, इसके परीक्षर् के तलए QR आधाररि स्माटि दिज़ को शातमल दकया
गया है।
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3. तिषय/ टॉतपक की आसान समझ के तलए इन्फोग्रादफक्स को शातमल दकया गया है। यह सीिने और समझने के अनुभि
को आसान बनािा है िथा पढ़े गए तिषय/कंटेंट को लंबे समय िक याि रिना सुतनतिि करिा है।
तिषय की समझ और अिधारर्ाओं के स्मरर् की अपनी
क्षमिा के परीक्षर् के तलए आप हमारे ओपन टेस्ट
ऑनलाइन प्लेटफॉमि पर स्माटि दिज़ का अभ्यास करने हेिु
इस QR कोि को स्कैन कर सकिे हैं।
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1. मूर्ििकला और स्थापत्यकला (Sculpture and Architecture)
1.1. ललंगराज मंदिर (Lingaraj Temple)
सुर्ख़ियों में क्यों?
हाल ही में, ओतिशा सरकार ने 11िीं शिाब्िी के ललंगराज मंदिर को इसके 350 िषि प्राचीन संरचनात्मक स्िरूप के समान इसकी
पुनसिज्जा (facelift) करने की घोषर्ा की है।
ललंगराज मंदिर के बारे में
• इसका तनमािर् 11िीं शिाब्िी ईस्िी में सोम िंश के
शासक ययाति केसरी (Jajati Keshari) िारा करिाया
गया था, तजसमें आगे गंग िंश के शासकों िारा पररिधिन
दकया गया।
• यह भगिान तशि को समर्पिि है।
o यह मंदिर ओतिशा में शैििाि और िैष्र्ििाि के
सामंजस्य का प्रिीक है।
• इसके िेउल (तशिर) की ऊ
ं चाई 180 फीट हैं िथा यह
भुिनेश्वर में मंदिर स्थापत्यकला की पराकाष्ठा को िशाििा
है, जो दक मंदिर स्थापत्यकला की कललंग शैली का उद्गम
स्थल था।
• मंदिर को सामान्यिया 4 मुख्य सभामंिपों में तिभातजि
दकया जा सकिा है, यथा-
o गभिगृह (मुख्य िेििा का स्थान),
o यज्ञ मंिप (प्राथिना के तलए कक्ष),
o नाट्य मंिप (नृत्य ि संगीि कक्ष), एिं
o भोग मंिप (जहां भिों को भगिान का प्रसाि /भोग
प्राप्त होिा है)।
• िैतनक जीिन के दक्रयाकलापों ि गतितितध केंद्रों को
िशाििी हुई उत्कृष्ट नक्काशी मंदिर को पूजा स्थल होने के
साथ-साथ, एक सामातजक एिं सांस्कृतिक सभागार भी बनािी है।
• ललंगराज मंदिर को "स्ियंभू" माना जािा है - (स्ियं-प्रकट तशिललंग) िथा तशिललंग को हररहर के रूप में जाना जािा है। यह
ओतिशा में शैि एिं िैष्र्ििाि संप्रिायों के समन्िय का संकेि िेिा है।
• मंदिर का अन्य आकषिर् लबंिुसागर झील है, जो मंदिर की उत्तर दिशा में तस्थि है।
• तशिरातत्र उत्सि मंदिर में मनाया जाने िाला प्रमुि त्यौहार है।
• मंदिर पररसर में गैर-लहंिुओं का प्रिेश िर्जिि है, परंिु िीिार के तनकट एक मंच बना हुआ है, जहां से मुख्य बाह्य भाग का एक
मनोरम िृश्य िृतष्टगोचर होिा है। मूल रूप से, इस मंच का तनमािर् िायसराय लॉिि कजिन की यात्रा के िौरान करिाया गया
था।
मंदिर स्थापत्यकला की कललंग शैली
• कललंग स्थापत्य शैली नागर स्थापत्यकला की एक उप-शैली है,
जो प्राचीन कललंग क्षेत्र (िििमान में ओतिशा, पतिम बंगाल एिं
उत्तरी आंध्र प्रिेश) में तिकतसि हुई थी।
• इसमें, तशिर (ओतिशा में िेउल कहा जािा है) शीषि पर िदक्रि
होने से पूिि लगभग ऊध्िािधर होिा है।
• तशिर से पहले मंिप (ओतिशा में इसे जगमोहन या नृत्य मंिप
कहिे हैं) होिा है।
• इस शैली में मंदिरों के िीन तितशष्ट प्रकार सतम्मतलि होिे हैं
यथा: रेिा िेउल, पीढ़ा िेउल एिं िािरा िेउल।
• रेिा िेउल एिं िािरा िेउल में गभिगृह होिा है, जबदक पीढ़ा
िेउल में बाह्य नृत्य एिं भोग सभाकक्ष होिा है।
• कललंग िास्िुकला के अन्य उिाहरर्: राजरानी मंदिर
(भुिनेश्वर); जगन्नाथ मंदिर (पुरी) आदि।
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1.2. सुर्ख़ियों में रहे अन्य मंदिर (Other temples in News)
प्रमुि यूनेस्को स्थल
सूयि मंदिर, कोर्ाकि
(ओतिशा) (Konark Sun
Temple, Odisha)
• इसका तनमािर् गंग िंश के शासक नरलसंहिेि प्रथम िारा 13िीं सिी ई. के मध्य में करिाया गया था।
• यह मंदिर सूयि िेि के 24 पतहयों
से युि सूयि रथ का प्रतितनतधत्ि
करिा है।
• यह यूनेस्को की तिश्व तिरासि
स्थल सूची में सतम्मतलि है।
• यह अपने काले रंग के कारर्
'ब्लैक पैगोिा' के रूप में भी
जाना जािा है।
• निीन और निीकरर्ीय ऊजाि
मंत्रालय ने कोर्ाकि सूयि मंदिर
िथा कोर्ाकि शहर को ‘सूयि
नगरी’ के रूप में तिकतसि करने हेिु इनके शि प्रतिशि सोलराइजेशन की योजना का शुभारंभ दकया है।
तिट्ठल मंदिर कनािटक
(Vittala Temple,
Karnataka)
• हम्पी में तिट्ठल मंदिर का तनमािर् तिजयनगर साम्राज्य के शासक िेिराय तििीय (1422 - 1446 ईस्िी) के
शासनकाल के िौरान
दकया गया था।
o कृष्र्िेिराय
(1509- 1529
ईस्िी) के
शासनकाल के
िौरान मंदिर के कई
तहस्सों का तिस्िार
और जीर्ोद्धार
दकया गया था।
• यह मंदिर भगिान तिष्र्ु
के अििार तिट्ठल को
समर्पिि है। यह िुंगभद्रा
निी के िट पर हम्पी के उत्तर पूिी भाग में तस्थि है।
• यह मंदिर िास्िुकला की द्रतिड़ शैली में बनाया गया है। तिट्ठल मंदिर के मुख्य आकषिर् इसके प्रभािशाली
स्िंभयुि सभागार और पाषार् तनर्मिि रथ हैं।
• यह हम्पी के ऐतिहातसक स्थलों में से एक है।
o हम्पी कनािटक में तस्थि एक यूनेस्को तिश्व तिरासि स्थल (UNESCO World Heritage Site) है।
o इसका नामकरर् पम्पा (िुंगभद्रा निी का प्राचीन नाम) निी के नाम पर दकया गया था, तजसके िट पर
यह शहर तस्थि है। यह तिजयनगर साम्राज्य की अंतिम राजधानी थी।
o तिजयनगर साम्राज्य की स्थापना हररहर और बुक्का िारा 1336 ईस्िी में की गई थी। इसे 1565 ईस्िी
में (िातलकोटा के युद्ध में) िक्कन के मुतस्लम शासकों ने नष्ट कर दिया था।
• प्रमुि स्थल: अच्युिराय मंदिर, तिठ्ठल मंदिर, पट्टातभराम मंदिर, कमल महल आदि।
पशुपतिनाथ मंदिर,
काठमांिू (नेपाल)
Pashupatinath
Temple, Kathmandu,
Nepal)
• हाल ही में, भारि और नेपाल ने इस मंदिर पररसर की अिसंरचना में सुधार हेिु एक समझौिा ज्ञापन पर
हस्िाक्षर दकए हैं।
o यह पररयोजना नेपाल-भारि मैत्री: तिकास भागीिारी (Nepal-Bharat Maitri: Development
Partnership) का एक भाग है, जो दक भारि िारा संचातलि ि उच्च प्रभाि िाली एक सामुिातयक
तिकास योजना है।
• यह एक लहंिू मंदिर है िथा यह नेपाल का सबसे बड़ा मंदिर पररसर है। इसका तिस्िार बागमिी निी के
िोनों दकनारों िक है।
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o यह मंदिर यूनेस्को के सांस्कृ तिक तिरासि स्थलों में से एक है।
अन्य मंदिर
सोमनाथ मंदिर, गुजराि
(Somnath Temple,
Gujarat)
• भारि के प्रधान मंत्री को सोमनाथ मंदिर न्यास के अध्यक्ष के रूप में तनयुि दकया गया है।
• सोमनाथ मंदिर गुजराि के
पतिमी िट पर सौराष्ट्र में
िेरािल के तनकट प्रभास
पाटन में अितस्थि है।
• यह तशि के बारह
ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से
सििप्रथम ज्योतिर्लिंग माना
जािा है।
• िििमान मंदिर को लहंिू
मंदिर िास्िुकला की
चालुक्य शैली में पुनर्निर्मिि
दकया गया है। मई 1951 में
इसे िल्लभभाई पटेल िारा
पूर्ि करिाया गया था।
• यह स्थल कतपला, तहरन और सरस्ििी का तत्रिेर्ी संगम (िीन नदियों का संगम) माना जािा है।
श्री श्री जय काली मािर
मंदिर, नटोर, बांग्लािेश
(Sree Sree Jai Kali
Matar temple, Natore,
Bangladesh)
• यह बांग्लािेश के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। इस मंदिर का तनमािर् लगभग 300 िषि पूिि श्री ियाराम
रॉय िारा करिाया गया था, जो
दिघपतिया शाही िंश के
संस्थापक थे।
• हाल ही में, उच्च प्रभाि िाली
सामुिातयक तिकास पररयोजना
(High Impact Community
Development Project) के
िहि भारि िारा प्राप्त सहायिा
से इसका पुनर्निमािर् दकया
गया।
o ज्ञािव्य है दक इस मंदिर के
पुनर्निमािर् के तलए िषि
2016 में एक समझौिा ज्ञापन (MoU) पर हस्िाक्षर दकए गए थे।
बाररकोट घुंिई, पादकस्िान
(Barikot Ghundai,
हाल ही में, उत्तर पतिम पादकस्िान के स्िाि तजले के बाररकोट घुंिई में भगिान तिष्र्ु के एक प्राचीन लहंिू मंदिर
की िोज की गई है।
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Pakistan) • इसे 1,300 िषि पूिि लहंिू शाही शासन काल के िौरान बनिाया गया था
• लहंिू शाही या काबुल शाही (850-1026 ईस्िी) एक लहंिू राजिंश था, तजसने काबुल घाटी (पूिी
अफगातनस्िान), गांधार
(आधुतनक पादकस्िान) और
िििमान उत्तर-पतिम भारि पर
शासन दकया था।
o शब्ि लहंिू शाही इस
राजिंश की एक शाही
उपातध थी, न दक इसका
िास्ितिक िंशानुगि या
नृजािीय नाम।
o यह िंश कु षार् साम्राज्य
(आधुतनक अफगातनस्िान),
या िुकि (िुरुष्क) के पूििजों से उत्पन्न हुआ था।
1.3. सुर्ख़ियों में रहे स्मारक (Monuments in News)
गोलकुंिा दकला, िेलंगाना
(Golconda Fort,
Telangana)
• यह हैिराबाि शहर के पतिमी भाग में हुसैन सागर झील के तनकट तस्थि है।
• यह मूल रूप से मंकल
(Mankal) के रूप में जाना
जािा था। इसे 1143 ई. में
एक पहाड़ी के तशिर पर
तनर्मिि दकया गया था िथा
िारंगल के राजा के शासनकाल
के िौरान यह एक तमट्टी से
बनाया गया दकला था।
• कालांिर में, 14िीं एिं 17िीं
शिाब्िी के मध्य क्रमशः
बहमनी सुल्िानों और
ित्पिाि कुिुब शाही िंश के
शासकों िारा इसे सुिृढ़िा प्रिान की गई थी।
बूंिी, राजस्थान की स्थापत्य
तिरासि (Architectural
heritage of Bundi,
Rajasthan)
• बूंिी ितक्षर्-पूिी राजस्थान में तस्थि एक तजला है। यह पूिि में हाड़ा राजपूि ररयासि की राजधानी थी,
तजसे हाड़ौिी के नाम
से जाना जािा था।
बूंिी को सीढ़ीिार
बािड़ी शहर, नीला
शहर और छोटी
काशी के रूप में भी
जाना जािा है।
• इसकी स्थापत्य
तिरासि को
तनम्नलतिि में
िगीकृि दकया जा
सकिा है यथा:
o गढ़ (दकला):
िारागढ़।
o गढ़ महल (शाही महल): भज महल; छत्र महल ि उम्मेि महल।
o बािड़ी (सीढ़ीिार बािड़ी): िोज िरिाजा की बािड़ी एिं भािलिी बािड़ी।
o कुं ि (सीढ़ीिार िालाब): धाभाई जी का कुंि; नागर कुंि; सागर कुंि और रानी कुंि।
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o सागर महल (लेक पैलेस): मोिी महल; सुि महल ि तशकर बुजि।
o छिरी (सेनोटाफ): चौरासी।
हातगया सोदफया, िुकी
(Hagia Sophia,
Turkey)
• हाल ही में, हातगया सोदफया नामक इस्िांबुल के एक प्रतितष्ठि संग्रहालय को मतस्जि में पररिर्ििि कर दिया
गया।
• छठी शिाब्िी ईस्िी में पूिी रोमन
साम्राज्य की राजधानी के तलए एक
कैथेड्रल चचि के रूप में इस तिश्व प्रतसद्ध
इमारि का तनमािर् हुआ था। 1453
ईस्िी में जब इस शहर पर ऑटोमन
साम्राज्य का अतधकार हुआ िो इस
इमारि में िोड़फोड़ कर इसे मतस्जि में
बिल दिया गया।
• िषि 1934 में इसे एक संग्रहालय बना
दिया गया। यह यूनेस्को की तिश्व
धरोहर स्थलों की सूची में भी शातमल
है।
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2. तचत्रकला और अन्य कलाएं (Paintings & Other Art Forms)
2.1. गुफा तचत्रकारी (Cave Paintings)
सुर्ख़ियों में क्यों?
हाल ही में, तिश्व की सबसे पुरानी ज्ञाि गुफा तचत्रकारी (लगभग 45,000 िषि पूिि तचतत्रि) इंिोनेतशया के लैंग िेंिोंग (Leang
Tedongnge) में एक चूना पत्थर की गुफा में तमली है।
अन्य संबंतधि िथ्य
• साउथ सुलािेसी में िोजी गई इस गुफा तचत्रकारी में तिशाल आकार के मस्से िाले शूकरों (warty pigs) को तचतत्रि दकया
गया है।
• इससे पूिि ज्ञाि प्राचीनिम गुफा तचत्रकारी लगभग 43,900 िषि प्राचीन थी। इसमें मानि-पशु संकर आकृति िारा सुलािेसी
मस्से िाले शूकरों और बौने बोतिि (मृग, भेड़ आदि) के तशकार का तचत्रर् दकया गया था।
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प्रागैतिहातसक गुफा तचत्रों का तिकास
उत्तर पुरापाषार् गुफा तचत्र मध्यपाषार् गुफा तचत्र निपाषार्कालीन गुफा तचत्र
• इस काल में पहली बार पशु और
मानि आकृतियां सरल ज्यातमिीय
रूप में तचतत्रि की गईं।
• जानिरों को उनकी प्राकृतिक
रूपरेिा में दििाया गया था और
मनुष्य को तशकार या नृत्य की
गतिशील दक्रया में भािात्मक रूप में
व्यि दकया गया था।
• इन तचत्रों में सटीक ‘S’ आकार की
मानि आकृतियों को िशािया गया है,
जो तितभन्न गतितितधयों को िशाििी हैं
जैसे दक िे तशकार कर रहे हैं, नृत्य
कर रहे हैं और िौड़ रहे हैं।
• ऐसा प्रिीि होिा है दक इस अितध के
िौरान यह गुफाओं का ऊपरी तहस्सा
था, तजसे सिाितधक तचतत्रि दकया
गया था।
• कई रूपांकनों ि तिजाइनों के रूप में
रचनात्मकिा की व्यापकिा िृतष्टगोचर हुई
है। आकृतियां अतधकिर मृिुिापूििक
प्रिातहि महीन रेिाओं में िशािई गई हैं, जो
गतिशील मुद्रा को व्यि करिी हैं।
• तशकाररयों को साधारर् िस्त्र और आभूषर्
धारर् दकए हुए िशािया गया है, तसर-पर
धारर् दकए जाने िाले आिरर् और मुिौटे
भी कभी-कभी िेिे जा सकिे हैं।
• पशु रूप प्रकृतििािी तचत्रर् हैं जबदक
मानि आकृ तियां तस्थर और भािात्मक हैं।
• पुरुष आकृतियां छड़ी के रूप में हैं, जबदक
मतहला आकृतियां सर्पिल या मधुकोष जैसी
जरटल शारीररक संरचना के साथ भारी
बॉक्स के आकार में तचतत्रि हैं।
• मानिों के पीछे िौड़िे तिशाल जानिरों,
उपचारात्मक एिं शिाधान आदि जैसी
तमथकीय छतियां तचतत्रि की गई हैं।
• नृत्य, गभिििी मतहलाएं, बच्चे के जन्म और
एक बच्चे के साथ एक मािा जैसे िृश्य भी
तचतत्रि दकए गये हैं।
• उिाहरर्: लािाजोर (मछली पकड़ने का
िृश्य, झोपड़ी में पररिार का भोजन
करना), भीमबेटका (एक रोगी व्यति का
जािुई उपचार), चिुभुिजनाथ नाला
(गतिशील धनुधिर) आदि।
• तचत्रों में संचलन की अतभव्यति का लोप
है, आकृतियों में प्रिीकों का िोहराि हैं।
मनुष्य और पशु आकृतियां अतधक से
अतधक योजनाबद्ध और शैलीबद्ध होने
लगिी हैं।
• आकार, सामान्यिया कम हो गया है,
हालांदक कुछ बड़ी आकृतियां भी हैं।
• तशकार के िृश्य हैं, परन्िु एक बड़े समूह
के कायि के रूप में तशकार अनुपतस्थि है।
इनमें, एकान्ि तशकारी को तचतत्रि दकया
गया है।
• उिाहरर्: चिुभुिजनाथ नाला (रथ
तचत्रर्), कूपगल्लू, तपकलीहल,
टेककलकोटा आदि।
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गुफा तचत्रों के अन्य उिाहरर्
• अजंिा की गुफाएाँ: अजंिा प्रथम शिाब्िी ईसा पूिि की तचत्रकला का एकमात्र जीतिि उिाहरर् है।
o इन तचत्रों का तिषय, छि और स्िंभों पर
सजािटी प्रतिरूपों को छोड़कर, लगभग
तिशेष रूप से बौद्ध है। अजंिा में प्रथम
बौद्ध गुफा स्मारक िूसरी और पहली
शिाब्िी ईसा पूिि का है।
o गुप्त काल के िौरान (5िीं-6िीं शिाब्िी
ईस्िी), मूल समूह में कई और अतधक
समृद्ध रूप से सुसतज्जि गुफाओं को
शातमल दकया गया था।
• बाघ की गुफाएं: बातघतन निी के सुिूर दकनारों
पर तस्थि इन गुफाओं में बौद्ध तचत्र और
अिशेष हैं, जो 5िीं से 7िीं शिाब्िी के हैं।
o सबसे महत्िपूर्ि गुफा नंबर 4 है, तजसे
सामान्यिया रंग महल (रंगों का महल)
के रूप में जाना जािा है।
• बािामी गुफाएं: बािामी प्रारंतभक चालुक्य
िंश (543 से 598 ईसा) की राजधानी थी।
o ये गुफा तचत्र भगिान तशि को समर्पिि हैं
और अब िक ज्ञाि (6िीं शिाब्िी)
प्राचीनिम ब्राह्मर्िािी तचत्रों से संबंतधि
हैं।
• तसत्तनिासल: यह पुिुक्कोट्टी के तनकट पांिय युग (9िीं शिाब्िी) का एक शैलोत्कीर्र्िि जैन मंदिर है। ये गुफाएं तचत्र जैन तिषयों और
प्रिीकिाि को समर्पिि हैं।
• एलोरा गुफाएं: ये गुफाएं 600 से 1000 ईस्िी िक स्मारकों के तनरंिर तनमािर् को िशाििी हैं।
o इनमें लहंिू, बौद्ध और जैन मंदिर शातमल हैं। इन तचत्रों का मुख्य तिषय भी इन 3 धमों पर केंदद्रि है।
• एलीफें टा/घारपुरी गुफाएं: इन गुफाओं का तनमािर् लगभग 5िीं से 6िीं शिाब्िी ईस्िी के मध्य हुआ था।
o िे लहंिू और बौद्ध मंदिरों की शरर्स्थली हैं।
o एतलफें टा में बौद्ध स्िूपों के अिशेष संभिि: ईसा पूिि िूसरी शिाब्िी के बौद्ध धमि के प्रारंतभक चरर् के हैं।
संबंतधि िथ्य
सुलािेसी कला
• तिश्व के सबसे प्राचीन गुफा-तचत्र इंिोनेतशया में िोजे गए हैं।
• 45,000 िषों से अतधक प्राचीन इन गुफा तचत्रों में इंिोनेतशया के सुलािेसी िीप, जहां ये तचत्र पाए गए हैं, के स्थानीय पशु, मस्से िाले
शूकरों (warty pigs) को तचतत्रि दकया गया है।
o तचत्रकारी चूना पत्थर की एक गुफा में पाई गई थी
और इसे लाल गेरूआ रंग का उपयोग करके तचतत्रि
दकया गया था।
o सुलािेसी मस्से िाले शूकरों का तचत्रर् यह िशाििा है
दक ये पशु प्राचीन मनुष्यों के तलए महत्िपूर्ि थे।
• पुराित्ितििों ने इन गुफा तचत्रों के काल-तनधािरर् के तलए
यूरेतनयम-श्रृंिला समस्थातनक तिश्लेषर् (Uranium-
series isotope analysis) पद्धति का उपयोग दकया
है। इस तिश्लेषर् के अंिगिि कै तल्शयम काबोनेट तनक्षेप का
उपयोग दकया जािा है जो दक गुफा की तभतत्त की सिह
पर स्िाभातिक रूप से तनक्षेतपि होने लगिा है।
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• सुलािेसी िीप में प्रत्यक्ष रूप से दिनांदकि कुछ तिश्व की सिाितधक प्राचीन शैल कला पाई जािी है। इसके अतिररि, यहााँ तहम युग के
एतशयाई महािीप की ितक्षर्-पूिी सीमाओं से परे होतमलनंस (hominins) की उपतस्थति के भी कुछ सिाितधक प्राचीन साक्ष्य तमले हैं।
o तिगि सिाितधक प्राचीन तचत्र (जो लगभग 44000 िषि पुराने थे) में भी सुलािेसी में एक शूकर और भैंस को तचतत्रि दकया गया था।
o होतमलनंस (hominins) के अंिगिि आधुतनक मानि, तिलुप्त मानि प्रजातियां और हमारे ित्काल पूििज शातमल हैं।
• गुफा या शैल तचत्र गुफा अथिा शैल तभतत्तयों और उनकी छि पर तचतत्रि तचत्र होिे हैं। ये तचत्र यूरोप, अफ्रीका, ऑस्रेतलया और ितक्षर् पूिि
एतशया में पाए गए हैं।
2.2. भारि के पारंपररक तिलौने (India’s Traditional Toys)
सुर्ख़ियों में क्यों?
हाल ही में, िातर्ज्य एिं उद्योग मंत्रालय के उद्योग संिधिन और आंिररक व्यापार तिभाग (DPIIT) ने हस्ितशल्प एिं भौगोतलक
संकेिक (Geographical Indications: GI) िजाि
प्राप्त तिलौनों को गुर्ित्ता तनयंत्रर् आिेश से छूट
प्रिान की है। यह कायििाही भारि को तिलौनों के
तिक्रय एिं तनयािि के तलए िैतश्वक तितनमािर् कें द्र
बनाने के िृतष्टकोर् को साकार करने हेिु की गई है।
भारिीय तिलौना उद्योग की तस्थति
• भारि का तिलौना बाजार लगभग 450-500
तमतलयन िॉलर का है, जो िैतश्वक तिलौना
बाजार का लगभग 0.5% है। िैतश्वक तिलौना
बाजार लगभग 90 तबतलयन िॉलर का
अनुमातनि है।
o इसके अतिररि, भारि तिश्व के सिाितधक
युिा आबािी िाले िेशों में से एक है, तजस
कारर् िेश में तिलौना उद्योग में िीव्र िृतद्ध
पररलतक्षि होिी है।
• 1980 के िशक िक, भारि में उपयोग दकए जाने
िाले अतधकांश तिलौने िेश में ही बनाए जािे थे।
हालााँदक, िषि 1991 में अथिव्यिस्था के उिारीकरर्
से इसमें पररिििन आया, क्योंदक चीन से तिलौनों
का अत्यतधक आयाि हुआ था।
• िििमान में, भारिीय तिलौनों का 80% चीनी
आयाि से पूररि होिा है और गैर-ब्रांिेि चीनी
तिलौनों की भारि के बाजार में 90% तहस्सेिारी
है।
o चीन तिश्व के लगभग 75% तिलौनों का
तनमािर् करिा है।
भारि के पारंपररक तिलौनों के बारे में
• भारि काष्ठ, प्लातस्टक, िस्त्र, रेशे, काष्ठ लुगिी,
रबड़ और धािु जैसी तितभन्न सामतग्रयों से तनर्मिि
हज़ारों तिलौनों का एक प्राचीन क्रीड़ा-स्थल रहा
है।
भारि के तिलौना उद्योग को पुनजीतिि करने के तलए सरकार िारा और
क्या किम उठाए जा रहे हैं?
• टॉयकैथोन (Toycathon-2021): इसे हाल ही में आरंभ दकया गया
था, जो केंद्र िारा आयोतजि एक तिशेष प्रकार की हैकथॉन है।
o इसका उद्देश्य स्ििेशी तिलौना उद्योग को बढ़ािा िेना और
आयाि को कम करना है।
o यह छात्रों और तशक्षकों, तिज़ाइन तिशेषज्ञों, तिलौना तिशेषज्ञों
और स्टाटि-अप्स को भारिीय संस्कृति, लोकाचार, लोक कथाओं,
नायकों एिं नैतिक मूल्यों पर आधाररि तिलौनों िथा िेलों को
तिकतसि करने के तलए लोगों के तिचारों को एकतत्रि करने हेिु
एक मंच प्रिान करिी है।
• राष्ट्रीय तशक्षा नीति (NEP), 2020: तिद्यालय पाठ्यक्रम के तहस्से के
रूप में, छठी कक्षा के उपरांि छात्रों को तिलौना बनाने का कौशल
प्रिान दकया जाएगा। यह कायिशालाओं ि तनमािर् कारख़ानों के भ्रमर्
के साथ-साथ स्थानीय कारीगरों के माध्यम से दकया जाएगा।
• ज्ञािव्य है दक स्ििेशी तिलौनों के तिकास, उत्पािन और तबक्री को
बढ़ािा िेने के तलए केंद्र सरकार एक व्यापक योजना पर भी कायि कर
रही है।
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• भारि में अपने तिलौनों के माध्यम से कहानी सुनाने की एक समृद्ध संस्कृति है, जो जीिन के पररप्रेक्ष्य को िशाििी है।
• ऐतिहातसक रूप से, भारि में तिलौने का अतस्ित्ि 5,000 िषि पुराना है। हड़प्पा और मोहनजोिाड़ो के उत्िनन में पाए गए
तिलौने और गुतड़यों में छोटी गातड़या, नििकी आदि शातमल थीं।
o कुछ पारंपररक तिलौना तनमािर् केंद्रों में कनािटक में चन्नपटना, उत्तर प्रिेश में तचत्रकूट, आंध्र प्रिेश में कोंिापल्ली और
मध्य प्रिेश में बुिनी-रीिा शातमल हैं।
• पेपर क्ले (कागज़ का पेस्ट बनाकर आकृतियां बनाना), काष्ठ, िनस्पति रंगों आदि जैसे प्राकृतिक उत्पािों से तनर्मिि होने के
कारर् पारंपररक तिलौने पयाििरर् के अनुकूल हैं।
• ‘िोकल फॉर लोकल’ प्रचार-िाक्य और ‘आत्मतनभिर भारि’ अतभयान के िहि, सरकार िारा इस क्षेत्र की क्षमिा का िोहन
करने के अिसर िलाशे जा रहे हैं।
नाम राज्य तििरर्
चन्नपटना तिलौने कनािटक मैसूर के शासक टीपू सुल्िान ने 18िीं शिाब्िी में फारस से उपहार के रूप में प्राप्त एक रोगन-लेतपि काष्ठ की
कलाकृति से प्रभातिि होकर, अपने राज्य के लोगों को प्रतशतक्षि करने के तलए भारि में फारसी कारीगरों को
आमंतत्रि दकया था।
दकन्नाली तिलौने कनािटक ये काष्ठ तनर्मिि तिलौने हैं, जो अतधकिर लहंिू िेिी-िेििाओं को िशाििे हैं।
कोंिापल्ली
तिलौने
आंध्र प्रिेश बोम्मल कोलुिु (िसरा गुतड़या) के नाम से भी ज्ञाि ये तिलौने आंध्र प्रिेश के कृष्र्ा तजले के कोंिापल्ली नामक
स्थान पर बनाए जािे हैं। इन तिलौनों की शैली इस्लामी और राजस्थानी कला का तमश्रर् है, जो अपनी
यथाथििािी अतभव्यतियों के तलए प्रतसद्ध है।
एटीकॉप्पका
तिलौने
आंध्र प्रिेश एटीकॉप्पका तिलौने मुलायम काष्ठ और लाि (lacquer) के रंग से बने होिे हैं। ये बीज, लाि, जड़ों और
पतत्तयों से प्राप्त प्राकृतिक रंगों से रंगे जािे हैं। तिलौने बनाने के इस िरीके को टन्िि िुि लैकर क्राफ्ट (turned
wood lacquer craft) के रूप में भी जाना जािा है।
तनमिल तिलौने िेलंगाना िेलंगाना के तनमिल तिलौनों की शैली अजंिा पुष्पीय और मुगल लघु तचत्रकला का एक सुंिर तमश्रर् है।
िंजािुर गोलू
गुतड़या
ितमलनािु िंजािुर नृत्य मुद्रा में गुतड़या, इन्हें पारंपररक रूप से िंजािुर थलयारट बोम्मई के रूप में जाना जािा है। ये
िंजौर से सुंिर हस्ितशल्प की एक तितशष्ट तिरासि का एक तहस्सा हैं।
लैफादिबी मतर्पुर लैफादिबी या गुतड़या पुराने (प्रयोग दकए जा चुके) िस्त्रों से बनाई जाने िाली भगिान की स्त्री प्रतिमा होिी है।
एक िेलने की िस्िु से लेकर अनुष्ठानों के अतभन्न तहस्से के रूप में प्रयुि होने िाली इन गुतड़यों को जीतिि
आत्माओं के रूप में माना जािा है। लोकतप्रय रूप से इन्हें लैफादिबी कहा जािा है।
अशारीकांिी
टेराकोटा तिलौने
असम ये हड़प्पा सभ्यिा के टेराकोटा के समान हैं। ये असम के अशारीकांिी (मिैिाली) तशल्प ग्राम में बनिे हैं, जो
दक सबसे बड़ा समूह है। यहां टेराकोटा और मृद्भाण्ि तशल्प िोनों पाए जािे हैं िथा पारंपररक िरीके से
उपयोग दकए जािे है।
अन्य पारंपररक
तिलौने
• ओतिशा के संबलपुर के तिलौने और कागज़ लुगिी िथा पत्थर के तिलौने;
• तबहार की कन्यापुत्री गुतड़या और तसक्की कायि;
• उत्तर प्रिेश में िारार्सी के काष्ठ के तिलौने;
• पतिम बंगाल की निुनग्राम गुतड़या;
• ितमलनािु का चोप्पू सामान;
• गुजराि का तथगिा ढ ंगला;
• पंजाब का छनकना (सीटी के साथ एक तिलौना), घुग्गू (बच्चों के तलए झुनझुना पेटी), लट्टू (शीषि से
घूमने िाला), हंििई (दकचन सेट);
• महाराष्ट्र का भािुकली लघु रसोई सेट और सािंििाड़ी तिलौने।
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2.3. मध्य प्रिेश के िस्त्र तशल्प (Textiles of Madhya Pradesh)
सुर्ख़ियों में क्यों?
राइफेि (TRIFED) िारा मध्य प्रिेश के बड़िानी में स्थानीय जनजातियों हेिु सिि आजीतिका सुतनतिि करने के तलए बाग,
माहेश्वरी और चंिेरी िस्त्र तशल्प का प्रतशक्षर् दिया जा रहा है।
अन्य संबंतधि िथ्य
• मध्य प्रिेश में बड़िानी अपनी सामातजक-आर्थिक तिकास की
तनम्नस्िरीय तस्थति के कारर् एक आकांक्षी तजला (aspirational
district) है।
• बड़िानी में कोई पारंपररक तशल्प नहीं है। हालांदक, िरगौन और धार के
आसपास के तजलों में जनजािीय तशल्पकार बाग छपाई और माहेश्वरी
शैली में िस्त्रों की पारंपररक बुनाई के कायि में संलग्न हैं।
बाग छपाई के बारे में
• यह मध्य प्रिेश के धार तजले में प्रचतलि प्राकृतिक रंगों िाली एक
पारंपररक हस्ि आधाररि ब्लॉक लप्रंट (ठप्पा छपाई) कला है।
• इसका नाम बाग निी के दकनारे तस्थि बाग़ गााँि से तलया गया है।
• इस छपाई कला में सूिी और रेशमी िस्त्र में जंग लगे लोहे की भराई,
दफटकरी एिं ऐतलज़ररन (जैतिक लाल रंग) का तमश्रर् प्रयुि होिा है।
• छपाई प्रदक्रया के पूर्ि होने पर, छपाई दकए हुए िस्त्र बार-बार निी के प्रिातहि जल में धोए जािे हैं िथा ित्पिाि बेहिर
चमक प्राप्त करने के तलए एक तितशष्ट अितध हेिु धूप में सुिाए जािे हैं।
• सामान्यिया इस कला शैली में एक श्वेि पृष्ठभूतम पर लाल और काले रंग के िनस्पति रंगों के साथ ज्यातमिीय एिं पुष्पीय
रचनाएं तनर्मिि की जािी हैं।
• बाग छपाई को िषि 2008 में भौगोतलक संकेिक (Geographical Indication) टैग प्राप्त हुआ था।
माहेश्वरी िस्त्र तशल्प के बारे में
• माहेश्वरी िस्त्र सूिी और रेशमी कपड़े होिे हैं, तजन्हें ज़री के साथ बुना जािा है या ये बेल बूटेिार होिे हैं। इनका उपयोग मुख्य
रूप से साड़ी बनाने के तलए दकया जािा है।
• माहेश्वरी साड़ी, मध्य प्रिेश के िरगौन तजले के माहेश्वर (नमििा के
िट पर तस्थि) से संबंतधि है।
• मध्य प्रिेश में दकलों की भव्यिा और उनके तिजाइनों ने माहेश्वरी
िस्त्रों पर िकनीक, बुनाई और रूपांकनों को प्रेररि करने में महत्िपूर्ि
भूतमका तनभाई है।
• इन लोकतप्रय तिजाइनों में से कुछ में मैट पैटनि (चटाई), जैस्मीन पैटनि
(चमेली), तब्रक पैटनि (ईंट) और िायमंि पैटनि (हीरा) शातमल हैं।
• महेश्वरी िस्त्र से बुनी गई सातड़यों की 5 प्रमुि श्रेतर्यां हैं। ये हैं -
चंद्रकला, लबंगानी चंद्रकला, चंद्ररिा, बेली और परबी। ये साड़ी
चमकिार और हल्के िजन की होिी हैं।
• माहेश्वरी सातड़यों को होल्कर के शाही पररिार िारा संरक्षर् दिया
गया था और कहा जािा है दक रानी अतहल्या बाई होल्कर स्ियं
इनकी बुनाई करिी थी।
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चंिेरी िस्त्र तशल्प के बारे में
• यह एक पारंपररक ि तितशष्ट सांस्कृतिक िस्त्र (ethnic fabric) है, जो
िजन में हल्की, महीन बनािट और शानिार तिलातसिा युि अनुभि की
तिशेषिा से पररपूर्ि है।
• ये िस्त्र पारंपररक सूिी धागे में रेशम और सुनहरी ज़री में बुनाई िारा
तनर्मिि होिे हैं, तजसके पररर्ामस्िरूप तझलतमलािी बनािट का तनमािर्
होिा है।
• इस िस्त्र ने मध्य प्रिेश के एक छोटे शहर चंिेरी से अपना नाम ग्रहर् दकया
है। इसे 3 प्रकारों में िगीकृि दकया जा सकिा है, यथा- चंिेरी तसल्क कॉटन,
प्योर तसल्क और चंिेरी कॉटन।
• चंिेरी सातड़यों को लसंतधया शाही पररिार िारा संरक्षर् प्रिान दकया गया
था।
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संबंतधि िथ्य
कोरिई बुनाई
• कोरिई ितमलनािु के कांचीपुरम में प्रचतलि बुनाई की एक प्राचीन ि जरटल िकनीक है।
• इस िकनीक में साड़ी के मुख्य भाग और बॉििर की एक ही करघे पर पृथक-पृथक रूप से बुनाई की जािी है। ित्पिाि िोनों को कौशलपूर्ि
बुनाई िारा इंटरलॉक कर दिया जािा है।
राइफे ि अथािि् भारिीय जनजािीय सहकारी तिपर्न तिकास संघ (Tribal Cooperative Marketing Development Federation of
India: TRIFED)
• इसकी स्थापना िषि 1987 में सहकारी सतमति अतधतनयम, 1984 के िहि भारि सरकार िारा एक राष्ट्रीय स्िर की सहकारी संस्था के रूप
में की गई थी।
• यह जनजािीय कायि मंत्रालय के अंिगिि आिा है।
• राइफे ि को जनजातियों िारा एकतत्रि ि उत्पादिि लघु िनोपजों (Minor Forest Produce: MFP) और अतधशेष कृ तष उत्पािों
(Surplus Agricultural Produce: SAP) के व्यापार को संस्थागि रूप प्रिान कर िेश की प्रमुि जनजातियों के सामातजक-आर्थिक
तिकास हेिु अतधिेतशि दकया गया है।
• यह बाजार तिकासकिाि और सेिा प्रिािा िोनों की िोहरी भूतमका तनभािा है।
• राइब्स इंतिया (TRIBES India) िह ब्रांि है, तजसके िहि जनजािीय लोगों के िस्िकारी उत्पाि तिक्रय दकए जािे हैं।
o संपूर्ि िेश में 120 भिन आधाररि राइब्स इंतिया आउटलेट्स हैं।
2.4. सुर्ख़ियों में रही अन्य कलाएं (Other Art forms in News)
कोल्लम तचत्रकारी (Kollam
Drawing)
• यह फशि पर ज्यातमिीय प्रतिरूपों को तचतत्रि करने की एक पारंपररक भारिीय कला शैली है।
• इन्हें घरों में स्िास्थ्य और समृतद्ध को
आमंतत्रि करने की अतभव्यति के रूप में
तचतत्रि दकया जािा है।
• इसमें कच्चे माल के रूप में चािल का आटा ि
िाल जैसे िाद्य पिाथि और पतत्तयां प्रयुि
होिे हैं।
• इस कलाकृति में कमल, मत्स्य, पक्षी आदि
का रूपांकन दकया जा सकिा हैं जो मनुष्य
और जीि-जंिुओं के मध्य एकिा को
अतभव्यि करिा है।
• अतधकांश कलाकृतियां िृत्ताकार होिी हैं,
जो समय की अंिहीनिा की भािना को प्रिर्शिि करिी है। सूयि, चंद्रमा और अन्य रातश तचन्ह भी
इसके सामान्य तिषय हैं।
िारली तचत्रकारी, महाराष्ट्र (Warli
Paintings, Maharashtra)
• यह महाराष्ट्र की िारली जनजाति की िैतनक और सामातजक घटनाओं को व्यि करिी है। यह
तचत्रकला पौरातर्क पात्रों या िेििाओं की
छतियों को तचतत्रि करने की बजाय सामातजक
जीिन को तचतत्रि करिी है।
• इस तचत्रकला में िैतनक जीिन के िृश्यों के साथ-
साथ मनुष्य और जानिरों के तचत्र भी बनाए
जािे हैं जो तबना दकसी योजना के, सरल शैली में
तचतत्रि दकए जािे हैं।
o इसके िहि बनाए गए तचत्र आिेट, नृत्य,
बुिाई और कटाई जैसी गतितितधयों में
संलग्न मानि आकृतियों के िृश्यों को
प्रिर्शिि करिे हैं।
o कई लबंिुओं और छोटी-छोटी रेिाओं (िेश) को तमलाकर एक बड़ी रेिा बनाई जािी है।
• इन तचत्रों का तनमािर् मुख्य रूप से मतहलाओं िारा दकया जािा है।
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मधुबनी तचत्रकारी, तबहार
(Madhubani Painting, Bihar)
• मधुबनी या तमतथला तचत्रकला तबहार के तमतथला
क्षेत्र में प्रचतलि एक लोक तचत्रकला है।
• यह स्थानीय रूपांकनों और चटकीले तमट्टी के रंगों
के उपयोग के कारर् लोकतप्रय है। कलाकारों िारा
िैयार दकए गए ितनज रंजकों (तमनरल्स तपगमेंट्स)
के माध्यम से इस तचत्रकला को संपन्न दकया जािा
है।
• तिषय-िस्िु: लहंिू िेििा, िरबारी िृश्य, तििाह के
िृश्य, सामातजक घटनाएं इत्यादि।
• स्थान अंिरालों को भरने के तलए िनस्पतियों,
जीिों ि पतक्षयों के रूपांकनों िथा ज्यातमिीय
तिज़ाइनों का प्रयोग दकया जािा है।
रोगन तचत्रकला, गुजराि (Rogan
painting, Gujarat)
• यह 300 िषि प्राचीन तशल्प परंपरा
है, जो कभी गुजराि के कच्छ क्षेत्र
में तिकतसि हुई थी।
• सभी रोगन तशल्पकलाएं तबना
िाका (अथािि् रूपरेिा या ब्लूलप्रंट)
के तनर्मिि की जािी हैं। यह मूल
रूप से बड़े कैनिास पर धािु की
एक छोटी छड़ से रंगकमि करके
तनर्मिि की जािी है।
• रोगन िस्त्र पर तचत्रकारी करने की
िकनीक है, तजसमें अरंिी के बीज
के िेल से बने गाढ़े चमकीले पेंट जैसे पिाथि का उपयोग दकया जािा है।
o रोगन एक िपिर् कला है; पेंट तचपतचपा होिा है और िूसरे कपड़े में स्थानांिररि हो जािा है।
मोनपा हस्ितनर्मिि कागज, अरुर्ाचल
प्रिेश (Monpa Handmade
Paper, Arunachal Pradesh)
• िािी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) िारा अरुर्ाचल प्रिेश के त्िांग में 1,000 िषि प्राचीन
तिरासि कला को
पुनजीतिि करने के तलए
मोनपा हस्ितनर्मिि कागज
तनमािर् इकाई की शुरूआि
की गई है।
• मोनपा एक महीन बनािट
िाला हस्ितनर्मिि कागज है।
इसे स्थानीय भाषा में मोन
शुगु (Mon Shugu) कहा
जािा है। यह ििांग में
स्थानीय मोनपा जनजाति
की जीिंि संस्कृति का एक अतभन्न अंग है।
• इस कागज की उत्पतत्त 1,000 िषि पहले हुई थी। इसका अत्यतधक ऐतिहातसक और धार्मिक महत्ि
है, क्योंदक इस कागज का उपयोग बौद्ध मठों में धमिग्रंथों एिं स्िुतिगान तलिने के तलए दकया जािा
था।
o मोनपा िारा इन कागजों को तिब्बि, भूटान, थाईलैंि और जापान जैसे िेशों में तिक्रय दकया
जािा था, क्योंदक उस समय इन िेशों में कागज बनाने का कोई उद्योग मौजूि नहीं था।
o हालांदक, धीरे-धीरे स्थानीय उद्योग में तगरािट शुरू हुई और चीनी कागज िारा स्ििेशी
हस्ितनर्मिि कागज को प्रतिस्थातपि कर दिया गया।
• मोनपा हस्ितनर्मिि कागज, शुगु शेंग (Shugu Sheng) नामक स्थानीय िृक्ष की छाल से बनाया
जाएगा, तजसमें कुछ औषधीय गुर् भी होिे हैं।
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पुतलक्कली या पुतलकली, के रल
(Pulikkali, Kerala)
• पुतलक्कली (बाघ नृत्य)
के रल की लोककला का एक
स्िरूप है। इस िषि, यह
कोतिि-19 महामारी के
कारर् ऑनलाइन मनाया
जाएगा।
• इसमें कलाकार अपने
शरीर को बाघ की त्िचा
की भांति पीली, लाल और
काली धाररयों से रंग लेिे
हैं िथा पारंपररक ोल
सिृश्य िाद्ययंत्रों, जैसे-
िदकल ि उिुक्क की लय पर नृत्य करिे हैं।
• पुतलक्कली की शुरुआि िो शिाब्िी पूिि कोचीन के पूिि शासक महाराजा राम िमाि सकिन िमपुरन
िारा की गई थी।
ोकरा कलाकृ तियां, पतिम बंगाल
(Dhokra Decorative Pieces,
West Bengal)
• ोकरा कलाकृ तियां, धािु की मूर्िियां हैं। इन्हें
'लुप्त मोम लाई िकनीक' (lost wax
casting) का उपयोग करके कांस्य और िाम्र
तमश्र धािुओं से तनर्मिि दकया जािा है।
o यह नाम पतिम बंगाल के पारंपररक
धािुकर्मियों, “ ोकरा िामर” जनजाति
के नाम पर रिा गया है।
• एक सबसे प्राचीन ोकरा कलाकृ ति
मोहनजोिड़ो की ‘नृत्यांगना’ (dancing girl)
है।
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3. नृत्य और संगीि (Dances & Music)
3.1. िेलो इंतिया यूथ गेम्स 2021 में स्ििेशी िेलों का समािेश (Inclusion of Indigenous Sports in Khelo India
Youth Games 2021)
सुर्ख़ियों में क्यों?
हाल ही में, युिा कायिक्रम और िेल मंत्रालय ने चार स्ििेशी िेलों को िेलो इंतिया यूथ गेम्स (KIYG) 2021 का तहस्सा बनने को
स्िीकृति प्रिान की है। इन िेलों में शातमल हैं- गिका, कलारीपयट्टु, थांग-टा और मल्लिंभ। साथ ही, योगासन को भी अनुमोिन
प्रिान दकया है।
अन्य संबंतधि िथ्य
• KIYG, िेल के तिकास के तलए संशोतधि राष्ट्रीय कायिक्रम ‘िेलो इंतिया’ का एक तहस्सा है। इसे केंद्रीय मंतत्रमंिल िारा िषि
2017 में अनुमोदिि दकया गया था।
• िेलो इंतिया कायिक्रम, िेश में िेले जाने िाले सभी िेलों के तलए एक मजबूि ांचा बनाकर और एक महान िेल राष्ट्र के रूप में
भारि की स्थापना के तलए िेल संस्कृति को ज़मीनी स्िर पर पुनजीतिि करने हेिु प्रारंभ दकया गया है।
भारि की अन्य माशिल आट्सि
• ितमलनािु: तसलंबम और कुट्टू िररसई;
• मतर्पुर: सररि सरक;
• तहमाचल प्रिेश: ठोिा;
• बंगाल: लाठी िेला;
• महाराष्ट्र: मिािनी िेल; िथा
• जम्मू और कश्मीर: स्िै (Squay)
अन्य िथ्य
एक प्रतिस्पधी िेल के रूप में योगासन
• आयुष मंत्रालय िथा युिा कायिक्रम और िेल मंत्रालय ने योगासन को एक प्रतिस्पधी िेल के रूप में औपचाररक मान्यिा प्रिान करने की
घोषर्ा की है।
• इससे एथलीटों और अतधकाररयों को लाभ पहुंचाने के तलए नई िकनीकों एिं नई रर्नीतियों का िेलों में प्रिेश सुतनतिि होगा।
• यह योग को प्रोत्सातहि करेगा, इसके लाभ के बारे में जागरूकिा का प्रसार करेगा और लोगों के शारीररक एिं मानतसक कल्यार् में सुधार
करने में मिि करेगा।
• योगासन, योग का एक अतभन्न और महत्िपूर्ि घटक है।
• प्रस्िातिि प्रतिस्पधािओं में पारंपररक योगासन, कलात्मक योगासन (एकल), कलात्मक योगासन (युग्म में) लयबद्ध योगासन (युग्म में)
आदि शातमल हैं।
चार स्ििेशी िेल
कल्लाररपयट्टू
(Kallaripayattu)
• यह के रल की एक माशिल आटि शैली है।
• कल्लाररपयट्टू में तितभन्न िकनीकों, जैसे- तमपयट्टू (शरीर का शारीररक
व्यायाम), िातड़पयट्टु (लाठी का उपयोग करके लड़ाई), िेलपयट्टू
(िलिारों का उपयोग करके लड़ाई) और िेरुमकाई-प्रयोगम (मल्लयुद्ध)
का उपयोग दकया जािा है।
• कल्लाररपयट्टू स्ििेशी औषधीय प्रथाओं में तिशेषज्ञिा पर भी ध्यान
कें दद्रि करिी है।
o कलारी उपचार (तचदकत्सा की एक प्रर्ाली) इसके पाठ्यक्रम का
एक भाग है।
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मल्लिंभ
(Mallakhamb)
• यह मध्य प्रिेश का राजकीय िेल है।
• यह भारि का एक पारंपररक िेल है। इसमें पहलिान एक काष्ठ के स्िंभ
या लटकिे हुए रस्से पर योग ि कुश्िी के िािपेंचों का हिाई प्रिशिन करिे
हैं।
o मल्लिंभ तितभन्न प्रकार के होिे हैं, जैसे- बेंि पर मल्लिंभ, तनराधार
(सहारे के तबना) मल्लिंभ, स्िंभ मल्लिंभ, लटकिा हुआ मल्लिंभ
और रस्सी मल्लिंभ।
• मल्लिंभ की उत्पतत्त 12िीं शिाब्िी में हुई प्रिीि होिी है। 1135 ई. में
चालुक्य शासक सोमेश्वर िृिीय िारा रतचि एक ग्रंथ “मानसोल्लास” में इसका उल्लेि दकया गया है। यह
महाराष्ट्र में भी लोकतप्रय है।
गिका (Gatka) • यह काष्ठ की छड़ी का प्रयोग कर लड़ने की एक शैली है। इसकी उत्पतत्त
15िीं शिाब्िी में पंजाब में हुई थी।
• यह िो या िो से अतधक कलाकारों के बीच छड़ी से लड़ी जाने िाली
लड़ाई है। काष्ठ की छतड़यों को सोटी कहा जािा है जो िलिारों की भांति
प्रयोग की जािी हैं।
थांग टा • यह एक मतर्पुरी माशिल आटि है, तजसे िलिार और भाला चलाने की
कला भी कहा जािा है।
• यह युद्ध कौशल के प्रिशिन और िेि आराधना के प्रति समर्पिि होिी है।
• इसमें श्वास लेने के िरीके , ध्यान और अनुष्ठानों जैसे शारीररक तनयंत्रर् के
आंिररक अभ्यास के साथ, िलिार, भाला, िंजर आदि जैसे तितभन्न
बाहरी शस्त्रों का समेदकि उपयोग दकया जािा है।
3.2. अन्य महत्िपूर्ि सुर्ख़ियां (Other Important News)
भिाई (Bhavai) • यह सौराष्ट्र और उत्तरी गुजराि के गांिों में आयोतजि की जाने िाली एक पारंपररक नुक्कड़ नाटक (street
play) शैली है।
• यह एक अनूठी
मंच कला
(stage art)
शैली है, तजसे
'भि' के साथ
संपन्न दकया
जािा है,
तजसका िात्पयि
भािनाओं को
प्रकट करना होिा है।
• यह तिशेष रूप से तितभन्न िेशभूषा और चाररतत्रक भूतमकाओं में पुरुष सिस्यों िारा प्रिर्शिि दकया जािा
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है।
• यह मुख्य रूप से िरगला समुिाय (Targala community) िारा आयोतजि दकया जािा है, तजसे
भिाया (Bhavaya) भी कहा जािा है। इस समुिाय के लोग लहंिू और मुतस्लम िोनों धमों से संबंतधि हैं।
गुजराि का लोकनृत्य गरबा
(Garba -folk dance of
Gujarat)
• शब्ि "गरबो" संस्कृि शब्ि "गभििीप" से उत्पन्न हुआ है, तजसका अथि है गोलाकार तछद्र िाला एक तमट्टी
का पात्र।
• यह निरातत्र और िैिातहक समारोहों के
िौरान "शति" की पूजा से संबंतधि है।
• इसमें एक िीपक (गरबा िीप) या िेिी
िुगाि की एक प्रतिमा को केन्द्रीय िृत्त में
रिा जािा है।
• इसमें लोग ोल की थाप पर अपने हाथों
से िाली बजािे हुए केंद्र के आसपास
नृत्य करिे हैं।
यक्षगान, कनािटक
(Yakshagana,
Karnataka)
• कनािटक का पारंपररक नाट्य रूप यक्षगान तमथकीय कथाओं िथा पुरार्ों पर आधाररि है। इसके प्रमुि
लोकतप्रय िृत्तांि
(एतपसोि)
महाभारि और
रामायर् से तलये
गए हैं।
• इसमें एक तितशष्ट
शैली और रूप में
नृत्य, संगीि,
संिाि, पररधान,
श्रृंगार िथा मंच
संबंधी तनपुर्िाओं को संयोतजि दकया जािा है।
• यक्ष का अथि उप अथिा गौर् िेििा िथा गान का अथि गीि होिा है।
• यह माना जािा है दक इसकी उत्पतत्त 11िीं और 15िीं शिाब्िी के मध्य भति आंिोलन के िौरान हुई
थी।
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4. भाषा और सातहत्य (Languages and Literature)
4.1. प्रबुद्ध भारि पतत्रका (Prabuddha Bharat Journal)
सुर्ख़ियों में क्यों?
हाल ही में, प्रबुद्ध भारि पतत्रका ने अपनी 125िीं िषिगांठ मनाई।
प्रबुद्ध भारि के बारे में
• प्रबुद्ध भारि (Awakened India), रामकृष्र् तमशन िारा
प्रकातशि एक अंग्रेजी भाषा की मातसक पतत्रका है।
• स्िामी तििेकानंि के अनुिेश पर प्रबुद्ध भारि की स्थापना
मद्रास (अब चेन्नई) में िषि 1896 में पी. अयासमी, बी. आर.
राजम अय्यर, जी. जी. नरतसम्हाचायि और बी. िी. कामेश्वर
अय्यर िारा की गई थी।
• यह िेश की “सबसे लंबे समय से प्रचतलि” मातसक अंग्रेजी
पतत्रका है।
• यह ऐतिहातसक, मनोिैज्ञातनक, सांस्कृतिक और सामातजक
तिज्ञान तिषयों को शातमल करिे हुए सामातजक तिज्ञान एिं
मानतिकी पर लेि प्रकातशि करिी है।
• नेिाजी सुभाष चंद्र बोस, बाल गंगाधर तिलक, तसस्टर
तनिेदििा, श्री अरलबंिो, सििपल्ली राधाकृष्र्न आदि जैसे
सातहत्यकारों के लेि इस पतत्रका में प्रकातशि हुए हैं।
• रामकृष्र् तमशन के अन्य प्रकाशन:
o उिबोधन: यह बंगाली मातसक पतत्रका है। यह जनिरी 1899 में स्िामी तििेकानंि िारा आरंभ की गई थी।
o िेिांि केसरी अंग्रेजी भाषा में प्रकातशि सांस्कृतिक एिं आध्यातत्मक पतत्रका है। इसकी शुरुआि िषि 1914 में हुई थी।
o श्री रामकृष्र् तिजयम: यह ितमल मातसक पतत्रका है। इसका प्रकाशन िषि 1921 में प्रारंभ हुआ था।
4.2. अन्य महत्िपूर्ि सुर्ख़ियां (Other Important News)
मंगोतलयाई कंजुर (Mongolian
Kanjur)
• संस्कृति मंत्रालय ने राष्ट्रीय पांिुतलतप तमशन (National Mission for Manuscripts: NMM)
के िहि मंगोतलयाई कंजुर के 108 िॉल्यूम (अंकों) के पुनमुिद्रर् हेिु एक पररयोजना आरंभ की है।
• मंगोतलयाई कंजुर िस्िुिः बौद्ध धमि से सबंतधि एक ग्रंथ (Buddhist canonical text) है।
मंगोतलयाई बौद्धों िारा इसका काफी सम्मान दकया जािा है िथा िे मंदिरों में कंजुर की पूजा
(अथािि् कंजुर की पंतियों का पाठ) करिे हैं।
o मंगोतलयाई कंजुर मंगोतलया को एक सांस्कृतिक पहचान उपलब्ध कराने का भी स्रोि है।
• भारि सरकार के पयिटन एिं संस्कृ ति मंत्रालय िारा फरिरी 2003 में राष्ट्रीय पांिुतलतप तमशन का
शुभारंभ गया था। इसे पांिुतलतपयों में संरतक्षि ज्ञान के िस्िािेजीकरर्, संरक्षर् एिं प्रसार करने
का अतधिेश प्राप्त है।
िांगम (Thangam) • यह तिब्बि-बमाि भाषा पररिार (Tibeto-Burman language family) से संबंतधि एक मौतिक
भाषा (बोली) है।
o यह अरुर्ाचल प्रिेश के िांगम समुिाय िारा बोली जािी है।
• इसे यूनेस्को के िल्िि एटलस ऑफ इंिेंजिि लैंग्िेज (UNESCO World Atlas of Endangered
Languages) के िहि दक्ररटक्ली इंिेंजिि भाषा की श्रेर्ी में रिा गया है।
रामकृष्र् तमशन के बारे में
• रामकृष्र् तमशन की स्थापना कलकत्ता (अब कोलकािा)
में स्िामी तििेकानंि िारा िषि 1897 में िोहरे उद्देश्य
से की गई थी:
o लहंिू संि रामकृष्र् (िषि 1836-86) के जीिन में
सतन्नतहि िेिांि की तशक्षाओं का प्रचार करना;
और
o भारिीय लोगों की सामातजक तस्थतियों में सुधार
करना।
• यह एक परोपकारी और स्ियंसेिी संगठन है।
• तमशन का आिशि िाक्य ‘आत्मनो मोक्षाथिं जगि् तहिाय
च’ है। इसका आशय ‘अपने मोक्ष और संसार के तहि के
तलए’ है। इसका प्रतिपािन स्िामी तििेकानंि ने दकया
था।
• यह संगठन िीन मुख्य आिशों पर आधाररि है, यथा-
आराधना, आत्मा की संभातिि दिव्यिा और धमों के
सामंजस्य के रूप में कायि करना।
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8321f culture

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  • 2. www.visionias.in 8468022022 1 DELHI | JAIPUR | PUNE | HYDERABAD | AHMEDABAD | LUCKNOW | CHANDIGARH | GUWAHATI © Vision IAS PT 365 - सं स् कृ ति संस्कृति तिषय सूची 1. मूर्ििकला और स्थापत्यकला (Sculpture and Architecture) ................................................................................4 1.1. ललंगराज मंदिर (Lingaraj Temple)........................................................................................................... 4 1.2. सुर्ख़ियों में रहे अन्य मंदिर (Other temples in News) ................................................................................... 5 1.3. सुर्ख़ियों में रहे स्मारक (Monuments in News)............................................................................................ 7 2. तचत्रकला और अन्य कलाएं (Paintings & Other Art Forms)...............................................................................9 2.1. गुफा तचत्रकारी (Cave Paintings) ............................................................................................................ 9 2.2. भारि के पारंपररक तिलौने (India’s Traditional Toys) .............................................................................. 11 2.3. मध्य प्रिेश के िस्त्र तशल्प (Textiles of Madhya Pradesh) .......................................................................... 14 2.4. सुर्ख़ियों में रही अन्य कलाएं (Other Art forms in News)............................................................................. 16 3. नृत्य और संगीि (Dances & Music) ............................................................................................................19 3.1. िेलो इंतिया यूथ गेम्स 2021 में स्ििेशी िेलों का समािेश (Inclusion of Indigenous Sports in Khelo India Youth Games 2021)................................................................................................................................ 19 3.2. अन्य महत्िपूर्ि सुर्ख़ियां (Other Important News) ..................................................................................... 20 4. भाषा और सातहत्य (Languages and Literature) ..........................................................................................22 4.1. प्रबुद्ध भारि पतत्रका (Prabuddha Bharat Journal)................................................................................... 22 4.2. अन्य महत्िपूर्ि सुर्ख़ियां (Other Important News) ..................................................................................... 22 5. यूनेस्को की पहलें (Initiatives of UNESCO) ..................................................................................................25 5.1. यूनेस्को की तिश्व धरोहर स्थलों की सूची {UNESCO's World Heritage Cities (WHC) List} ........................... 25 5.2. स्रीट हॉकर संस्कृति (Street Hawker Culture) ......................................................................................... 26 6. त्यौहार (Festivals) ..................................................................................................................................29 7. प्राचीन और मध्यकालीन भारि (Ancient & Medieval History).........................................................................32 7.1. गुजिर-प्रतिहार (Gurjara-Pratiharas) ...................................................................................................... 32 7.2. काकिीय िंश (Kakatiya Dynasty)......................................................................................................... 33 7.3. लसंधु घाटी सभ्यिा से िेयरी उत्पािन के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं {Evidence of Dairy Production in the Indus Valley Civilization (IVC)} .................................................................................................................................... 34 7.4. सादिकपुर तसनौली में उत्िनन (Sadikpur Sinauli Excavations) ................................................................. 37 8. व्यति (Personalities)..............................................................................................................................39 8.1. नेिाजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhas Chandra Bose) ......................................................................... 39
  • 3. www.visionias.in 8468022022 2 © Vision IAS DELHI | JAIPUR | PUNE | HYDERABAD | AHMEDABAD | LUCKNOW | CHANDIGARH | GUWAHATI PT 365 - सं स् कृ ति 8.2. ज्योतिबा फु ले (Jyotiba Phule)............................................................................................................... 40 8.3. बाल गंगाधर तिलक (Bal Gangadhar Tilak)............................................................................................ 42 8.4. बाबा बंिा लसंह बहािुर जी की 350िीं जयंिी (350th Jayanti of Baba Banda Singh Bahadur)...................... 42 8.5. पुरंिर िास (Purandara Dasa).............................................................................................................. 43 8.6. सुर्ख़ियों में रहे अन्य प्रमुि व्यति (Other Personalities in News)................................................................. 44 9. ऐतिहातसक घटनाक्रम (Historical Events) ....................................................................................................48 9.1. मालाबार तिद्रोह (Malabar Rebellion) ................................................................................................... 48 9.2. अतिल भारिीय श्रतमक संघ कांग्रेस (All India Trade Union Congress: AITUC)........................................... 49 9.3. तििीय तिश्व युद्ध (World War 2) ............................................................................................................ 50 9.4. दकस्सा ख्िानी बाजार नरसंहार (Qissa Khwani Bazaar Massacre) ........................................................... 51 9.5. अन्य महत्िपूर्ि सुर्ख़ियााँ (Other Important News) ..................................................................................... 51 10. तितिध (Miscellaneous).........................................................................................................................53 10.1. भौगोतलक संकेिक टैग {Geographical Indication (GI) Tag}.................................................................... 53 10.2. तिरासि प्रबंधन (Heritage Management) ............................................................................................ 56 10.3. कुशीनगर (Kushinagar) ..................................................................................................................... 58 10.4. करिारपुर कॉररिोर (Kartarpur Corridor) ............................................................................................. 59 10.5. लद्दाि की भाषा, संस्कृति और भूतम की रक्षा के तलए सतमति का गठन (Committee to Protect Language, Culture & Land of Ladakh) ...................................................................................................................... 59 10.6. सातहत्य में नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize in Literature)............................................................................ 61 10.7. सुर्ख़ियों में रही जनजातियााँ (Tribes in News).......................................................................................... 61 10.8. पुरस्कार और अिार्डसि (Prize and Awards)............................................................................................ 64 10.9. िेलो इंतिया स्टेट सेंटसि ऑफ एक्सीलेंस (Khelo India State Centres of Excellence: KISCE)....................... 64 10.10. अन्य महत्िपूर्ि सुर्ख़ियााँ (Other Important News) ................................................................................. 65 नोट: PT 365 (लहंिी) िाक्यूमेंट के अंिगिि, व्यापक िौर पर तिगि 1 िषि (365 दिन) की महत्िपूर्ि समसामतयकी को समेदकि रूप से किर दकया गया है िादक प्रारंतभक परीक्षा की िैयारी में अभ्यर्थियों को सहायिा तमल सके। अभ्यर्थियों के तहि में PT 365 िॉक्यूमेंट को और बेहिर बनाने के तलए इसमें तनम्नतलतिि निीन तिशेषिाओं को शातमल दकया गया है: 1. टॉतपक्स के आसान िगीकरर् और तितभन्न प्रकार की सूचनाओं को रेिांदकि िथा याि करने के तलए इस अध्ययन सामग्री में तितभन्न रंगों का उपयोग दकया गया है। 2. अभ्यथी ने तिषय को दकिना बेहिर समझा है, इसके परीक्षर् के तलए QR आधाररि स्माटि दिज़ को शातमल दकया गया है।
  • 4. www.visionias.in 8468022022 3 DELHI | JAIPUR | PUNE | HYDERABAD | AHMEDABAD | LUCKNOW | CHANDIGARH | GUWAHATI © Vision IAS PT 365 - सं स् कृ ति 3. तिषय/ टॉतपक की आसान समझ के तलए इन्फोग्रादफक्स को शातमल दकया गया है। यह सीिने और समझने के अनुभि को आसान बनािा है िथा पढ़े गए तिषय/कंटेंट को लंबे समय िक याि रिना सुतनतिि करिा है। तिषय की समझ और अिधारर्ाओं के स्मरर् की अपनी क्षमिा के परीक्षर् के तलए आप हमारे ओपन टेस्ट ऑनलाइन प्लेटफॉमि पर स्माटि दिज़ का अभ्यास करने हेिु इस QR कोि को स्कैन कर सकिे हैं।
  • 5. www.visionias.in 8468022022 4 © Vision IAS DELHI | JAIPUR | PUNE | HYDERABAD | AHMEDABAD | LUCKNOW | CHANDIGARH | GUWAHATI PT 365 - सं स् कृ ति 1. मूर्ििकला और स्थापत्यकला (Sculpture and Architecture) 1.1. ललंगराज मंदिर (Lingaraj Temple) सुर्ख़ियों में क्यों? हाल ही में, ओतिशा सरकार ने 11िीं शिाब्िी के ललंगराज मंदिर को इसके 350 िषि प्राचीन संरचनात्मक स्िरूप के समान इसकी पुनसिज्जा (facelift) करने की घोषर्ा की है। ललंगराज मंदिर के बारे में • इसका तनमािर् 11िीं शिाब्िी ईस्िी में सोम िंश के शासक ययाति केसरी (Jajati Keshari) िारा करिाया गया था, तजसमें आगे गंग िंश के शासकों िारा पररिधिन दकया गया। • यह भगिान तशि को समर्पिि है। o यह मंदिर ओतिशा में शैििाि और िैष्र्ििाि के सामंजस्य का प्रिीक है। • इसके िेउल (तशिर) की ऊ ं चाई 180 फीट हैं िथा यह भुिनेश्वर में मंदिर स्थापत्यकला की पराकाष्ठा को िशाििा है, जो दक मंदिर स्थापत्यकला की कललंग शैली का उद्गम स्थल था। • मंदिर को सामान्यिया 4 मुख्य सभामंिपों में तिभातजि दकया जा सकिा है, यथा- o गभिगृह (मुख्य िेििा का स्थान), o यज्ञ मंिप (प्राथिना के तलए कक्ष), o नाट्य मंिप (नृत्य ि संगीि कक्ष), एिं o भोग मंिप (जहां भिों को भगिान का प्रसाि /भोग प्राप्त होिा है)। • िैतनक जीिन के दक्रयाकलापों ि गतितितध केंद्रों को िशाििी हुई उत्कृष्ट नक्काशी मंदिर को पूजा स्थल होने के साथ-साथ, एक सामातजक एिं सांस्कृतिक सभागार भी बनािी है। • ललंगराज मंदिर को "स्ियंभू" माना जािा है - (स्ियं-प्रकट तशिललंग) िथा तशिललंग को हररहर के रूप में जाना जािा है। यह ओतिशा में शैि एिं िैष्र्ििाि संप्रिायों के समन्िय का संकेि िेिा है। • मंदिर का अन्य आकषिर् लबंिुसागर झील है, जो मंदिर की उत्तर दिशा में तस्थि है। • तशिरातत्र उत्सि मंदिर में मनाया जाने िाला प्रमुि त्यौहार है। • मंदिर पररसर में गैर-लहंिुओं का प्रिेश िर्जिि है, परंिु िीिार के तनकट एक मंच बना हुआ है, जहां से मुख्य बाह्य भाग का एक मनोरम िृश्य िृतष्टगोचर होिा है। मूल रूप से, इस मंच का तनमािर् िायसराय लॉिि कजिन की यात्रा के िौरान करिाया गया था। मंदिर स्थापत्यकला की कललंग शैली • कललंग स्थापत्य शैली नागर स्थापत्यकला की एक उप-शैली है, जो प्राचीन कललंग क्षेत्र (िििमान में ओतिशा, पतिम बंगाल एिं उत्तरी आंध्र प्रिेश) में तिकतसि हुई थी। • इसमें, तशिर (ओतिशा में िेउल कहा जािा है) शीषि पर िदक्रि होने से पूिि लगभग ऊध्िािधर होिा है। • तशिर से पहले मंिप (ओतिशा में इसे जगमोहन या नृत्य मंिप कहिे हैं) होिा है। • इस शैली में मंदिरों के िीन तितशष्ट प्रकार सतम्मतलि होिे हैं यथा: रेिा िेउल, पीढ़ा िेउल एिं िािरा िेउल। • रेिा िेउल एिं िािरा िेउल में गभिगृह होिा है, जबदक पीढ़ा िेउल में बाह्य नृत्य एिं भोग सभाकक्ष होिा है। • कललंग िास्िुकला के अन्य उिाहरर्: राजरानी मंदिर (भुिनेश्वर); जगन्नाथ मंदिर (पुरी) आदि।
  • 6. www.visionias.in 8468022022 5 DELHI | JAIPUR | PUNE | HYDERABAD | AHMEDABAD | LUCKNOW | CHANDIGARH | GUWAHATI © Vision IAS PT 365 - सं स् कृ ति 1.2. सुर्ख़ियों में रहे अन्य मंदिर (Other temples in News) प्रमुि यूनेस्को स्थल सूयि मंदिर, कोर्ाकि (ओतिशा) (Konark Sun Temple, Odisha) • इसका तनमािर् गंग िंश के शासक नरलसंहिेि प्रथम िारा 13िीं सिी ई. के मध्य में करिाया गया था। • यह मंदिर सूयि िेि के 24 पतहयों से युि सूयि रथ का प्रतितनतधत्ि करिा है। • यह यूनेस्को की तिश्व तिरासि स्थल सूची में सतम्मतलि है। • यह अपने काले रंग के कारर् 'ब्लैक पैगोिा' के रूप में भी जाना जािा है। • निीन और निीकरर्ीय ऊजाि मंत्रालय ने कोर्ाकि सूयि मंदिर िथा कोर्ाकि शहर को ‘सूयि नगरी’ के रूप में तिकतसि करने हेिु इनके शि प्रतिशि सोलराइजेशन की योजना का शुभारंभ दकया है। तिट्ठल मंदिर कनािटक (Vittala Temple, Karnataka) • हम्पी में तिट्ठल मंदिर का तनमािर् तिजयनगर साम्राज्य के शासक िेिराय तििीय (1422 - 1446 ईस्िी) के शासनकाल के िौरान दकया गया था। o कृष्र्िेिराय (1509- 1529 ईस्िी) के शासनकाल के िौरान मंदिर के कई तहस्सों का तिस्िार और जीर्ोद्धार दकया गया था। • यह मंदिर भगिान तिष्र्ु के अििार तिट्ठल को समर्पिि है। यह िुंगभद्रा निी के िट पर हम्पी के उत्तर पूिी भाग में तस्थि है। • यह मंदिर िास्िुकला की द्रतिड़ शैली में बनाया गया है। तिट्ठल मंदिर के मुख्य आकषिर् इसके प्रभािशाली स्िंभयुि सभागार और पाषार् तनर्मिि रथ हैं। • यह हम्पी के ऐतिहातसक स्थलों में से एक है। o हम्पी कनािटक में तस्थि एक यूनेस्को तिश्व तिरासि स्थल (UNESCO World Heritage Site) है। o इसका नामकरर् पम्पा (िुंगभद्रा निी का प्राचीन नाम) निी के नाम पर दकया गया था, तजसके िट पर यह शहर तस्थि है। यह तिजयनगर साम्राज्य की अंतिम राजधानी थी। o तिजयनगर साम्राज्य की स्थापना हररहर और बुक्का िारा 1336 ईस्िी में की गई थी। इसे 1565 ईस्िी में (िातलकोटा के युद्ध में) िक्कन के मुतस्लम शासकों ने नष्ट कर दिया था। • प्रमुि स्थल: अच्युिराय मंदिर, तिठ्ठल मंदिर, पट्टातभराम मंदिर, कमल महल आदि। पशुपतिनाथ मंदिर, काठमांिू (नेपाल) Pashupatinath Temple, Kathmandu, Nepal) • हाल ही में, भारि और नेपाल ने इस मंदिर पररसर की अिसंरचना में सुधार हेिु एक समझौिा ज्ञापन पर हस्िाक्षर दकए हैं। o यह पररयोजना नेपाल-भारि मैत्री: तिकास भागीिारी (Nepal-Bharat Maitri: Development Partnership) का एक भाग है, जो दक भारि िारा संचातलि ि उच्च प्रभाि िाली एक सामुिातयक तिकास योजना है। • यह एक लहंिू मंदिर है िथा यह नेपाल का सबसे बड़ा मंदिर पररसर है। इसका तिस्िार बागमिी निी के िोनों दकनारों िक है।
  • 7. www.visionias.in 8468022022 6 © Vision IAS DELHI | JAIPUR | PUNE | HYDERABAD | AHMEDABAD | LUCKNOW | CHANDIGARH | GUWAHATI PT 365 - सं स् कृ ति o यह मंदिर यूनेस्को के सांस्कृ तिक तिरासि स्थलों में से एक है। अन्य मंदिर सोमनाथ मंदिर, गुजराि (Somnath Temple, Gujarat) • भारि के प्रधान मंत्री को सोमनाथ मंदिर न्यास के अध्यक्ष के रूप में तनयुि दकया गया है। • सोमनाथ मंदिर गुजराि के पतिमी िट पर सौराष्ट्र में िेरािल के तनकट प्रभास पाटन में अितस्थि है। • यह तशि के बारह ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से सििप्रथम ज्योतिर्लिंग माना जािा है। • िििमान मंदिर को लहंिू मंदिर िास्िुकला की चालुक्य शैली में पुनर्निर्मिि दकया गया है। मई 1951 में इसे िल्लभभाई पटेल िारा पूर्ि करिाया गया था। • यह स्थल कतपला, तहरन और सरस्ििी का तत्रिेर्ी संगम (िीन नदियों का संगम) माना जािा है। श्री श्री जय काली मािर मंदिर, नटोर, बांग्लािेश (Sree Sree Jai Kali Matar temple, Natore, Bangladesh) • यह बांग्लािेश के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। इस मंदिर का तनमािर् लगभग 300 िषि पूिि श्री ियाराम रॉय िारा करिाया गया था, जो दिघपतिया शाही िंश के संस्थापक थे। • हाल ही में, उच्च प्रभाि िाली सामुिातयक तिकास पररयोजना (High Impact Community Development Project) के िहि भारि िारा प्राप्त सहायिा से इसका पुनर्निमािर् दकया गया। o ज्ञािव्य है दक इस मंदिर के पुनर्निमािर् के तलए िषि 2016 में एक समझौिा ज्ञापन (MoU) पर हस्िाक्षर दकए गए थे। बाररकोट घुंिई, पादकस्िान (Barikot Ghundai, हाल ही में, उत्तर पतिम पादकस्िान के स्िाि तजले के बाररकोट घुंिई में भगिान तिष्र्ु के एक प्राचीन लहंिू मंदिर की िोज की गई है।
  • 8. www.visionias.in 8468022022 7 DELHI | JAIPUR | PUNE | HYDERABAD | AHMEDABAD | LUCKNOW | CHANDIGARH | GUWAHATI © Vision IAS PT 365 - सं स् कृ ति Pakistan) • इसे 1,300 िषि पूिि लहंिू शाही शासन काल के िौरान बनिाया गया था • लहंिू शाही या काबुल शाही (850-1026 ईस्िी) एक लहंिू राजिंश था, तजसने काबुल घाटी (पूिी अफगातनस्िान), गांधार (आधुतनक पादकस्िान) और िििमान उत्तर-पतिम भारि पर शासन दकया था। o शब्ि लहंिू शाही इस राजिंश की एक शाही उपातध थी, न दक इसका िास्ितिक िंशानुगि या नृजािीय नाम। o यह िंश कु षार् साम्राज्य (आधुतनक अफगातनस्िान), या िुकि (िुरुष्क) के पूििजों से उत्पन्न हुआ था। 1.3. सुर्ख़ियों में रहे स्मारक (Monuments in News) गोलकुंिा दकला, िेलंगाना (Golconda Fort, Telangana) • यह हैिराबाि शहर के पतिमी भाग में हुसैन सागर झील के तनकट तस्थि है। • यह मूल रूप से मंकल (Mankal) के रूप में जाना जािा था। इसे 1143 ई. में एक पहाड़ी के तशिर पर तनर्मिि दकया गया था िथा िारंगल के राजा के शासनकाल के िौरान यह एक तमट्टी से बनाया गया दकला था। • कालांिर में, 14िीं एिं 17िीं शिाब्िी के मध्य क्रमशः बहमनी सुल्िानों और ित्पिाि कुिुब शाही िंश के शासकों िारा इसे सुिृढ़िा प्रिान की गई थी। बूंिी, राजस्थान की स्थापत्य तिरासि (Architectural heritage of Bundi, Rajasthan) • बूंिी ितक्षर्-पूिी राजस्थान में तस्थि एक तजला है। यह पूिि में हाड़ा राजपूि ररयासि की राजधानी थी, तजसे हाड़ौिी के नाम से जाना जािा था। बूंिी को सीढ़ीिार बािड़ी शहर, नीला शहर और छोटी काशी के रूप में भी जाना जािा है। • इसकी स्थापत्य तिरासि को तनम्नलतिि में िगीकृि दकया जा सकिा है यथा: o गढ़ (दकला): िारागढ़। o गढ़ महल (शाही महल): भज महल; छत्र महल ि उम्मेि महल। o बािड़ी (सीढ़ीिार बािड़ी): िोज िरिाजा की बािड़ी एिं भािलिी बािड़ी। o कुं ि (सीढ़ीिार िालाब): धाभाई जी का कुंि; नागर कुंि; सागर कुंि और रानी कुंि।
  • 9. www.visionias.in 8468022022 8 © Vision IAS DELHI | JAIPUR | PUNE | HYDERABAD | AHMEDABAD | LUCKNOW | CHANDIGARH | GUWAHATI PT 365 - सं स् कृ ति o सागर महल (लेक पैलेस): मोिी महल; सुि महल ि तशकर बुजि। o छिरी (सेनोटाफ): चौरासी। हातगया सोदफया, िुकी (Hagia Sophia, Turkey) • हाल ही में, हातगया सोदफया नामक इस्िांबुल के एक प्रतितष्ठि संग्रहालय को मतस्जि में पररिर्ििि कर दिया गया। • छठी शिाब्िी ईस्िी में पूिी रोमन साम्राज्य की राजधानी के तलए एक कैथेड्रल चचि के रूप में इस तिश्व प्रतसद्ध इमारि का तनमािर् हुआ था। 1453 ईस्िी में जब इस शहर पर ऑटोमन साम्राज्य का अतधकार हुआ िो इस इमारि में िोड़फोड़ कर इसे मतस्जि में बिल दिया गया। • िषि 1934 में इसे एक संग्रहालय बना दिया गया। यह यूनेस्को की तिश्व धरोहर स्थलों की सूची में भी शातमल है।
  • 10. www.visionias.in 8468022022 9 DELHI | JAIPUR | PUNE | HYDERABAD | AHMEDABAD | LUCKNOW | CHANDIGARH | GUWAHATI © Vision IAS PT 365 - सं स् कृ ति 2. तचत्रकला और अन्य कलाएं (Paintings & Other Art Forms) 2.1. गुफा तचत्रकारी (Cave Paintings) सुर्ख़ियों में क्यों? हाल ही में, तिश्व की सबसे पुरानी ज्ञाि गुफा तचत्रकारी (लगभग 45,000 िषि पूिि तचतत्रि) इंिोनेतशया के लैंग िेंिोंग (Leang Tedongnge) में एक चूना पत्थर की गुफा में तमली है। अन्य संबंतधि िथ्य • साउथ सुलािेसी में िोजी गई इस गुफा तचत्रकारी में तिशाल आकार के मस्से िाले शूकरों (warty pigs) को तचतत्रि दकया गया है। • इससे पूिि ज्ञाि प्राचीनिम गुफा तचत्रकारी लगभग 43,900 िषि प्राचीन थी। इसमें मानि-पशु संकर आकृति िारा सुलािेसी मस्से िाले शूकरों और बौने बोतिि (मृग, भेड़ आदि) के तशकार का तचत्रर् दकया गया था।
  • 11. www.visionias.in 8468022022 10 © Vision IAS DELHI | JAIPUR | PUNE | HYDERABAD | AHMEDABAD | LUCKNOW | CHANDIGARH | GUWAHATI PT 365 - सं स् कृ ति प्रागैतिहातसक गुफा तचत्रों का तिकास उत्तर पुरापाषार् गुफा तचत्र मध्यपाषार् गुफा तचत्र निपाषार्कालीन गुफा तचत्र • इस काल में पहली बार पशु और मानि आकृतियां सरल ज्यातमिीय रूप में तचतत्रि की गईं। • जानिरों को उनकी प्राकृतिक रूपरेिा में दििाया गया था और मनुष्य को तशकार या नृत्य की गतिशील दक्रया में भािात्मक रूप में व्यि दकया गया था। • इन तचत्रों में सटीक ‘S’ आकार की मानि आकृतियों को िशािया गया है, जो तितभन्न गतितितधयों को िशाििी हैं जैसे दक िे तशकार कर रहे हैं, नृत्य कर रहे हैं और िौड़ रहे हैं। • ऐसा प्रिीि होिा है दक इस अितध के िौरान यह गुफाओं का ऊपरी तहस्सा था, तजसे सिाितधक तचतत्रि दकया गया था। • कई रूपांकनों ि तिजाइनों के रूप में रचनात्मकिा की व्यापकिा िृतष्टगोचर हुई है। आकृतियां अतधकिर मृिुिापूििक प्रिातहि महीन रेिाओं में िशािई गई हैं, जो गतिशील मुद्रा को व्यि करिी हैं। • तशकाररयों को साधारर् िस्त्र और आभूषर् धारर् दकए हुए िशािया गया है, तसर-पर धारर् दकए जाने िाले आिरर् और मुिौटे भी कभी-कभी िेिे जा सकिे हैं। • पशु रूप प्रकृतििािी तचत्रर् हैं जबदक मानि आकृ तियां तस्थर और भािात्मक हैं। • पुरुष आकृतियां छड़ी के रूप में हैं, जबदक मतहला आकृतियां सर्पिल या मधुकोष जैसी जरटल शारीररक संरचना के साथ भारी बॉक्स के आकार में तचतत्रि हैं। • मानिों के पीछे िौड़िे तिशाल जानिरों, उपचारात्मक एिं शिाधान आदि जैसी तमथकीय छतियां तचतत्रि की गई हैं। • नृत्य, गभिििी मतहलाएं, बच्चे के जन्म और एक बच्चे के साथ एक मािा जैसे िृश्य भी तचतत्रि दकए गये हैं। • उिाहरर्: लािाजोर (मछली पकड़ने का िृश्य, झोपड़ी में पररिार का भोजन करना), भीमबेटका (एक रोगी व्यति का जािुई उपचार), चिुभुिजनाथ नाला (गतिशील धनुधिर) आदि। • तचत्रों में संचलन की अतभव्यति का लोप है, आकृतियों में प्रिीकों का िोहराि हैं। मनुष्य और पशु आकृतियां अतधक से अतधक योजनाबद्ध और शैलीबद्ध होने लगिी हैं। • आकार, सामान्यिया कम हो गया है, हालांदक कुछ बड़ी आकृतियां भी हैं। • तशकार के िृश्य हैं, परन्िु एक बड़े समूह के कायि के रूप में तशकार अनुपतस्थि है। इनमें, एकान्ि तशकारी को तचतत्रि दकया गया है। • उिाहरर्: चिुभुिजनाथ नाला (रथ तचत्रर्), कूपगल्लू, तपकलीहल, टेककलकोटा आदि।
  • 12. www.visionias.in 8468022022 11 DELHI | JAIPUR | PUNE | HYDERABAD | AHMEDABAD | LUCKNOW | CHANDIGARH | GUWAHATI © Vision IAS PT 365 - सं स् कृ ति गुफा तचत्रों के अन्य उिाहरर् • अजंिा की गुफाएाँ: अजंिा प्रथम शिाब्िी ईसा पूिि की तचत्रकला का एकमात्र जीतिि उिाहरर् है। o इन तचत्रों का तिषय, छि और स्िंभों पर सजािटी प्रतिरूपों को छोड़कर, लगभग तिशेष रूप से बौद्ध है। अजंिा में प्रथम बौद्ध गुफा स्मारक िूसरी और पहली शिाब्िी ईसा पूिि का है। o गुप्त काल के िौरान (5िीं-6िीं शिाब्िी ईस्िी), मूल समूह में कई और अतधक समृद्ध रूप से सुसतज्जि गुफाओं को शातमल दकया गया था। • बाघ की गुफाएं: बातघतन निी के सुिूर दकनारों पर तस्थि इन गुफाओं में बौद्ध तचत्र और अिशेष हैं, जो 5िीं से 7िीं शिाब्िी के हैं। o सबसे महत्िपूर्ि गुफा नंबर 4 है, तजसे सामान्यिया रंग महल (रंगों का महल) के रूप में जाना जािा है। • बािामी गुफाएं: बािामी प्रारंतभक चालुक्य िंश (543 से 598 ईसा) की राजधानी थी। o ये गुफा तचत्र भगिान तशि को समर्पिि हैं और अब िक ज्ञाि (6िीं शिाब्िी) प्राचीनिम ब्राह्मर्िािी तचत्रों से संबंतधि हैं। • तसत्तनिासल: यह पुिुक्कोट्टी के तनकट पांिय युग (9िीं शिाब्िी) का एक शैलोत्कीर्र्िि जैन मंदिर है। ये गुफाएं तचत्र जैन तिषयों और प्रिीकिाि को समर्पिि हैं। • एलोरा गुफाएं: ये गुफाएं 600 से 1000 ईस्िी िक स्मारकों के तनरंिर तनमािर् को िशाििी हैं। o इनमें लहंिू, बौद्ध और जैन मंदिर शातमल हैं। इन तचत्रों का मुख्य तिषय भी इन 3 धमों पर केंदद्रि है। • एलीफें टा/घारपुरी गुफाएं: इन गुफाओं का तनमािर् लगभग 5िीं से 6िीं शिाब्िी ईस्िी के मध्य हुआ था। o िे लहंिू और बौद्ध मंदिरों की शरर्स्थली हैं। o एतलफें टा में बौद्ध स्िूपों के अिशेष संभिि: ईसा पूिि िूसरी शिाब्िी के बौद्ध धमि के प्रारंतभक चरर् के हैं। संबंतधि िथ्य सुलािेसी कला • तिश्व के सबसे प्राचीन गुफा-तचत्र इंिोनेतशया में िोजे गए हैं। • 45,000 िषों से अतधक प्राचीन इन गुफा तचत्रों में इंिोनेतशया के सुलािेसी िीप, जहां ये तचत्र पाए गए हैं, के स्थानीय पशु, मस्से िाले शूकरों (warty pigs) को तचतत्रि दकया गया है। o तचत्रकारी चूना पत्थर की एक गुफा में पाई गई थी और इसे लाल गेरूआ रंग का उपयोग करके तचतत्रि दकया गया था। o सुलािेसी मस्से िाले शूकरों का तचत्रर् यह िशाििा है दक ये पशु प्राचीन मनुष्यों के तलए महत्िपूर्ि थे। • पुराित्ितििों ने इन गुफा तचत्रों के काल-तनधािरर् के तलए यूरेतनयम-श्रृंिला समस्थातनक तिश्लेषर् (Uranium- series isotope analysis) पद्धति का उपयोग दकया है। इस तिश्लेषर् के अंिगिि कै तल्शयम काबोनेट तनक्षेप का उपयोग दकया जािा है जो दक गुफा की तभतत्त की सिह पर स्िाभातिक रूप से तनक्षेतपि होने लगिा है।
  • 13. www.visionias.in 8468022022 12 © Vision IAS DELHI | JAIPUR | PUNE | HYDERABAD | AHMEDABAD | LUCKNOW | CHANDIGARH | GUWAHATI PT 365 - सं स् कृ ति • सुलािेसी िीप में प्रत्यक्ष रूप से दिनांदकि कुछ तिश्व की सिाितधक प्राचीन शैल कला पाई जािी है। इसके अतिररि, यहााँ तहम युग के एतशयाई महािीप की ितक्षर्-पूिी सीमाओं से परे होतमलनंस (hominins) की उपतस्थति के भी कुछ सिाितधक प्राचीन साक्ष्य तमले हैं। o तिगि सिाितधक प्राचीन तचत्र (जो लगभग 44000 िषि पुराने थे) में भी सुलािेसी में एक शूकर और भैंस को तचतत्रि दकया गया था। o होतमलनंस (hominins) के अंिगिि आधुतनक मानि, तिलुप्त मानि प्रजातियां और हमारे ित्काल पूििज शातमल हैं। • गुफा या शैल तचत्र गुफा अथिा शैल तभतत्तयों और उनकी छि पर तचतत्रि तचत्र होिे हैं। ये तचत्र यूरोप, अफ्रीका, ऑस्रेतलया और ितक्षर् पूिि एतशया में पाए गए हैं। 2.2. भारि के पारंपररक तिलौने (India’s Traditional Toys) सुर्ख़ियों में क्यों? हाल ही में, िातर्ज्य एिं उद्योग मंत्रालय के उद्योग संिधिन और आंिररक व्यापार तिभाग (DPIIT) ने हस्ितशल्प एिं भौगोतलक संकेिक (Geographical Indications: GI) िजाि प्राप्त तिलौनों को गुर्ित्ता तनयंत्रर् आिेश से छूट प्रिान की है। यह कायििाही भारि को तिलौनों के तिक्रय एिं तनयािि के तलए िैतश्वक तितनमािर् कें द्र बनाने के िृतष्टकोर् को साकार करने हेिु की गई है। भारिीय तिलौना उद्योग की तस्थति • भारि का तिलौना बाजार लगभग 450-500 तमतलयन िॉलर का है, जो िैतश्वक तिलौना बाजार का लगभग 0.5% है। िैतश्वक तिलौना बाजार लगभग 90 तबतलयन िॉलर का अनुमातनि है। o इसके अतिररि, भारि तिश्व के सिाितधक युिा आबािी िाले िेशों में से एक है, तजस कारर् िेश में तिलौना उद्योग में िीव्र िृतद्ध पररलतक्षि होिी है। • 1980 के िशक िक, भारि में उपयोग दकए जाने िाले अतधकांश तिलौने िेश में ही बनाए जािे थे। हालााँदक, िषि 1991 में अथिव्यिस्था के उिारीकरर् से इसमें पररिििन आया, क्योंदक चीन से तिलौनों का अत्यतधक आयाि हुआ था। • िििमान में, भारिीय तिलौनों का 80% चीनी आयाि से पूररि होिा है और गैर-ब्रांिेि चीनी तिलौनों की भारि के बाजार में 90% तहस्सेिारी है। o चीन तिश्व के लगभग 75% तिलौनों का तनमािर् करिा है। भारि के पारंपररक तिलौनों के बारे में • भारि काष्ठ, प्लातस्टक, िस्त्र, रेशे, काष्ठ लुगिी, रबड़ और धािु जैसी तितभन्न सामतग्रयों से तनर्मिि हज़ारों तिलौनों का एक प्राचीन क्रीड़ा-स्थल रहा है। भारि के तिलौना उद्योग को पुनजीतिि करने के तलए सरकार िारा और क्या किम उठाए जा रहे हैं? • टॉयकैथोन (Toycathon-2021): इसे हाल ही में आरंभ दकया गया था, जो केंद्र िारा आयोतजि एक तिशेष प्रकार की हैकथॉन है। o इसका उद्देश्य स्ििेशी तिलौना उद्योग को बढ़ािा िेना और आयाि को कम करना है। o यह छात्रों और तशक्षकों, तिज़ाइन तिशेषज्ञों, तिलौना तिशेषज्ञों और स्टाटि-अप्स को भारिीय संस्कृति, लोकाचार, लोक कथाओं, नायकों एिं नैतिक मूल्यों पर आधाररि तिलौनों िथा िेलों को तिकतसि करने के तलए लोगों के तिचारों को एकतत्रि करने हेिु एक मंच प्रिान करिी है। • राष्ट्रीय तशक्षा नीति (NEP), 2020: तिद्यालय पाठ्यक्रम के तहस्से के रूप में, छठी कक्षा के उपरांि छात्रों को तिलौना बनाने का कौशल प्रिान दकया जाएगा। यह कायिशालाओं ि तनमािर् कारख़ानों के भ्रमर् के साथ-साथ स्थानीय कारीगरों के माध्यम से दकया जाएगा। • ज्ञािव्य है दक स्ििेशी तिलौनों के तिकास, उत्पािन और तबक्री को बढ़ािा िेने के तलए केंद्र सरकार एक व्यापक योजना पर भी कायि कर रही है।
  • 14. www.visionias.in 8468022022 13 DELHI | JAIPUR | PUNE | HYDERABAD | AHMEDABAD | LUCKNOW | CHANDIGARH | GUWAHATI © Vision IAS PT 365 - सं स् कृ ति • भारि में अपने तिलौनों के माध्यम से कहानी सुनाने की एक समृद्ध संस्कृति है, जो जीिन के पररप्रेक्ष्य को िशाििी है। • ऐतिहातसक रूप से, भारि में तिलौने का अतस्ित्ि 5,000 िषि पुराना है। हड़प्पा और मोहनजोिाड़ो के उत्िनन में पाए गए तिलौने और गुतड़यों में छोटी गातड़या, नििकी आदि शातमल थीं। o कुछ पारंपररक तिलौना तनमािर् केंद्रों में कनािटक में चन्नपटना, उत्तर प्रिेश में तचत्रकूट, आंध्र प्रिेश में कोंिापल्ली और मध्य प्रिेश में बुिनी-रीिा शातमल हैं। • पेपर क्ले (कागज़ का पेस्ट बनाकर आकृतियां बनाना), काष्ठ, िनस्पति रंगों आदि जैसे प्राकृतिक उत्पािों से तनर्मिि होने के कारर् पारंपररक तिलौने पयाििरर् के अनुकूल हैं। • ‘िोकल फॉर लोकल’ प्रचार-िाक्य और ‘आत्मतनभिर भारि’ अतभयान के िहि, सरकार िारा इस क्षेत्र की क्षमिा का िोहन करने के अिसर िलाशे जा रहे हैं। नाम राज्य तििरर् चन्नपटना तिलौने कनािटक मैसूर के शासक टीपू सुल्िान ने 18िीं शिाब्िी में फारस से उपहार के रूप में प्राप्त एक रोगन-लेतपि काष्ठ की कलाकृति से प्रभातिि होकर, अपने राज्य के लोगों को प्रतशतक्षि करने के तलए भारि में फारसी कारीगरों को आमंतत्रि दकया था। दकन्नाली तिलौने कनािटक ये काष्ठ तनर्मिि तिलौने हैं, जो अतधकिर लहंिू िेिी-िेििाओं को िशाििे हैं। कोंिापल्ली तिलौने आंध्र प्रिेश बोम्मल कोलुिु (िसरा गुतड़या) के नाम से भी ज्ञाि ये तिलौने आंध्र प्रिेश के कृष्र्ा तजले के कोंिापल्ली नामक स्थान पर बनाए जािे हैं। इन तिलौनों की शैली इस्लामी और राजस्थानी कला का तमश्रर् है, जो अपनी यथाथििािी अतभव्यतियों के तलए प्रतसद्ध है। एटीकॉप्पका तिलौने आंध्र प्रिेश एटीकॉप्पका तिलौने मुलायम काष्ठ और लाि (lacquer) के रंग से बने होिे हैं। ये बीज, लाि, जड़ों और पतत्तयों से प्राप्त प्राकृतिक रंगों से रंगे जािे हैं। तिलौने बनाने के इस िरीके को टन्िि िुि लैकर क्राफ्ट (turned wood lacquer craft) के रूप में भी जाना जािा है। तनमिल तिलौने िेलंगाना िेलंगाना के तनमिल तिलौनों की शैली अजंिा पुष्पीय और मुगल लघु तचत्रकला का एक सुंिर तमश्रर् है। िंजािुर गोलू गुतड़या ितमलनािु िंजािुर नृत्य मुद्रा में गुतड़या, इन्हें पारंपररक रूप से िंजािुर थलयारट बोम्मई के रूप में जाना जािा है। ये िंजौर से सुंिर हस्ितशल्प की एक तितशष्ट तिरासि का एक तहस्सा हैं। लैफादिबी मतर्पुर लैफादिबी या गुतड़या पुराने (प्रयोग दकए जा चुके) िस्त्रों से बनाई जाने िाली भगिान की स्त्री प्रतिमा होिी है। एक िेलने की िस्िु से लेकर अनुष्ठानों के अतभन्न तहस्से के रूप में प्रयुि होने िाली इन गुतड़यों को जीतिि आत्माओं के रूप में माना जािा है। लोकतप्रय रूप से इन्हें लैफादिबी कहा जािा है। अशारीकांिी टेराकोटा तिलौने असम ये हड़प्पा सभ्यिा के टेराकोटा के समान हैं। ये असम के अशारीकांिी (मिैिाली) तशल्प ग्राम में बनिे हैं, जो दक सबसे बड़ा समूह है। यहां टेराकोटा और मृद्भाण्ि तशल्प िोनों पाए जािे हैं िथा पारंपररक िरीके से उपयोग दकए जािे है। अन्य पारंपररक तिलौने • ओतिशा के संबलपुर के तिलौने और कागज़ लुगिी िथा पत्थर के तिलौने; • तबहार की कन्यापुत्री गुतड़या और तसक्की कायि; • उत्तर प्रिेश में िारार्सी के काष्ठ के तिलौने; • पतिम बंगाल की निुनग्राम गुतड़या; • ितमलनािु का चोप्पू सामान; • गुजराि का तथगिा ढ ंगला; • पंजाब का छनकना (सीटी के साथ एक तिलौना), घुग्गू (बच्चों के तलए झुनझुना पेटी), लट्टू (शीषि से घूमने िाला), हंििई (दकचन सेट); • महाराष्ट्र का भािुकली लघु रसोई सेट और सािंििाड़ी तिलौने।
  • 15. www.visionias.in 8468022022 14 © Vision IAS DELHI | JAIPUR | PUNE | HYDERABAD | AHMEDABAD | LUCKNOW | CHANDIGARH | GUWAHATI PT 365 - सं स् कृ ति 2.3. मध्य प्रिेश के िस्त्र तशल्प (Textiles of Madhya Pradesh) सुर्ख़ियों में क्यों? राइफेि (TRIFED) िारा मध्य प्रिेश के बड़िानी में स्थानीय जनजातियों हेिु सिि आजीतिका सुतनतिि करने के तलए बाग, माहेश्वरी और चंिेरी िस्त्र तशल्प का प्रतशक्षर् दिया जा रहा है। अन्य संबंतधि िथ्य • मध्य प्रिेश में बड़िानी अपनी सामातजक-आर्थिक तिकास की तनम्नस्िरीय तस्थति के कारर् एक आकांक्षी तजला (aspirational district) है। • बड़िानी में कोई पारंपररक तशल्प नहीं है। हालांदक, िरगौन और धार के आसपास के तजलों में जनजािीय तशल्पकार बाग छपाई और माहेश्वरी शैली में िस्त्रों की पारंपररक बुनाई के कायि में संलग्न हैं। बाग छपाई के बारे में • यह मध्य प्रिेश के धार तजले में प्रचतलि प्राकृतिक रंगों िाली एक पारंपररक हस्ि आधाररि ब्लॉक लप्रंट (ठप्पा छपाई) कला है। • इसका नाम बाग निी के दकनारे तस्थि बाग़ गााँि से तलया गया है। • इस छपाई कला में सूिी और रेशमी िस्त्र में जंग लगे लोहे की भराई, दफटकरी एिं ऐतलज़ररन (जैतिक लाल रंग) का तमश्रर् प्रयुि होिा है। • छपाई प्रदक्रया के पूर्ि होने पर, छपाई दकए हुए िस्त्र बार-बार निी के प्रिातहि जल में धोए जािे हैं िथा ित्पिाि बेहिर चमक प्राप्त करने के तलए एक तितशष्ट अितध हेिु धूप में सुिाए जािे हैं। • सामान्यिया इस कला शैली में एक श्वेि पृष्ठभूतम पर लाल और काले रंग के िनस्पति रंगों के साथ ज्यातमिीय एिं पुष्पीय रचनाएं तनर्मिि की जािी हैं। • बाग छपाई को िषि 2008 में भौगोतलक संकेिक (Geographical Indication) टैग प्राप्त हुआ था। माहेश्वरी िस्त्र तशल्प के बारे में • माहेश्वरी िस्त्र सूिी और रेशमी कपड़े होिे हैं, तजन्हें ज़री के साथ बुना जािा है या ये बेल बूटेिार होिे हैं। इनका उपयोग मुख्य रूप से साड़ी बनाने के तलए दकया जािा है। • माहेश्वरी साड़ी, मध्य प्रिेश के िरगौन तजले के माहेश्वर (नमििा के िट पर तस्थि) से संबंतधि है। • मध्य प्रिेश में दकलों की भव्यिा और उनके तिजाइनों ने माहेश्वरी िस्त्रों पर िकनीक, बुनाई और रूपांकनों को प्रेररि करने में महत्िपूर्ि भूतमका तनभाई है। • इन लोकतप्रय तिजाइनों में से कुछ में मैट पैटनि (चटाई), जैस्मीन पैटनि (चमेली), तब्रक पैटनि (ईंट) और िायमंि पैटनि (हीरा) शातमल हैं। • महेश्वरी िस्त्र से बुनी गई सातड़यों की 5 प्रमुि श्रेतर्यां हैं। ये हैं - चंद्रकला, लबंगानी चंद्रकला, चंद्ररिा, बेली और परबी। ये साड़ी चमकिार और हल्के िजन की होिी हैं। • माहेश्वरी सातड़यों को होल्कर के शाही पररिार िारा संरक्षर् दिया गया था और कहा जािा है दक रानी अतहल्या बाई होल्कर स्ियं इनकी बुनाई करिी थी।
  • 16. www.visionias.in 8468022022 15 DELHI | JAIPUR | PUNE | HYDERABAD | AHMEDABAD | LUCKNOW | CHANDIGARH | GUWAHATI © Vision IAS PT 365 - सं स् कृ ति चंिेरी िस्त्र तशल्प के बारे में • यह एक पारंपररक ि तितशष्ट सांस्कृतिक िस्त्र (ethnic fabric) है, जो िजन में हल्की, महीन बनािट और शानिार तिलातसिा युि अनुभि की तिशेषिा से पररपूर्ि है। • ये िस्त्र पारंपररक सूिी धागे में रेशम और सुनहरी ज़री में बुनाई िारा तनर्मिि होिे हैं, तजसके पररर्ामस्िरूप तझलतमलािी बनािट का तनमािर् होिा है। • इस िस्त्र ने मध्य प्रिेश के एक छोटे शहर चंिेरी से अपना नाम ग्रहर् दकया है। इसे 3 प्रकारों में िगीकृि दकया जा सकिा है, यथा- चंिेरी तसल्क कॉटन, प्योर तसल्क और चंिेरी कॉटन। • चंिेरी सातड़यों को लसंतधया शाही पररिार िारा संरक्षर् प्रिान दकया गया था।
  • 17. www.visionias.in 8468022022 16 © Vision IAS DELHI | JAIPUR | PUNE | HYDERABAD | AHMEDABAD | LUCKNOW | CHANDIGARH | GUWAHATI PT 365 - सं स् कृ ति संबंतधि िथ्य कोरिई बुनाई • कोरिई ितमलनािु के कांचीपुरम में प्रचतलि बुनाई की एक प्राचीन ि जरटल िकनीक है। • इस िकनीक में साड़ी के मुख्य भाग और बॉििर की एक ही करघे पर पृथक-पृथक रूप से बुनाई की जािी है। ित्पिाि िोनों को कौशलपूर्ि बुनाई िारा इंटरलॉक कर दिया जािा है। राइफे ि अथािि् भारिीय जनजािीय सहकारी तिपर्न तिकास संघ (Tribal Cooperative Marketing Development Federation of India: TRIFED) • इसकी स्थापना िषि 1987 में सहकारी सतमति अतधतनयम, 1984 के िहि भारि सरकार िारा एक राष्ट्रीय स्िर की सहकारी संस्था के रूप में की गई थी। • यह जनजािीय कायि मंत्रालय के अंिगिि आिा है। • राइफे ि को जनजातियों िारा एकतत्रि ि उत्पादिि लघु िनोपजों (Minor Forest Produce: MFP) और अतधशेष कृ तष उत्पािों (Surplus Agricultural Produce: SAP) के व्यापार को संस्थागि रूप प्रिान कर िेश की प्रमुि जनजातियों के सामातजक-आर्थिक तिकास हेिु अतधिेतशि दकया गया है। • यह बाजार तिकासकिाि और सेिा प्रिािा िोनों की िोहरी भूतमका तनभािा है। • राइब्स इंतिया (TRIBES India) िह ब्रांि है, तजसके िहि जनजािीय लोगों के िस्िकारी उत्पाि तिक्रय दकए जािे हैं। o संपूर्ि िेश में 120 भिन आधाररि राइब्स इंतिया आउटलेट्स हैं। 2.4. सुर्ख़ियों में रही अन्य कलाएं (Other Art forms in News) कोल्लम तचत्रकारी (Kollam Drawing) • यह फशि पर ज्यातमिीय प्रतिरूपों को तचतत्रि करने की एक पारंपररक भारिीय कला शैली है। • इन्हें घरों में स्िास्थ्य और समृतद्ध को आमंतत्रि करने की अतभव्यति के रूप में तचतत्रि दकया जािा है। • इसमें कच्चे माल के रूप में चािल का आटा ि िाल जैसे िाद्य पिाथि और पतत्तयां प्रयुि होिे हैं। • इस कलाकृति में कमल, मत्स्य, पक्षी आदि का रूपांकन दकया जा सकिा हैं जो मनुष्य और जीि-जंिुओं के मध्य एकिा को अतभव्यि करिा है। • अतधकांश कलाकृतियां िृत्ताकार होिी हैं, जो समय की अंिहीनिा की भािना को प्रिर्शिि करिी है। सूयि, चंद्रमा और अन्य रातश तचन्ह भी इसके सामान्य तिषय हैं। िारली तचत्रकारी, महाराष्ट्र (Warli Paintings, Maharashtra) • यह महाराष्ट्र की िारली जनजाति की िैतनक और सामातजक घटनाओं को व्यि करिी है। यह तचत्रकला पौरातर्क पात्रों या िेििाओं की छतियों को तचतत्रि करने की बजाय सामातजक जीिन को तचतत्रि करिी है। • इस तचत्रकला में िैतनक जीिन के िृश्यों के साथ- साथ मनुष्य और जानिरों के तचत्र भी बनाए जािे हैं जो तबना दकसी योजना के, सरल शैली में तचतत्रि दकए जािे हैं। o इसके िहि बनाए गए तचत्र आिेट, नृत्य, बुिाई और कटाई जैसी गतितितधयों में संलग्न मानि आकृतियों के िृश्यों को प्रिर्शिि करिे हैं। o कई लबंिुओं और छोटी-छोटी रेिाओं (िेश) को तमलाकर एक बड़ी रेिा बनाई जािी है। • इन तचत्रों का तनमािर् मुख्य रूप से मतहलाओं िारा दकया जािा है।
  • 18. www.visionias.in 8468022022 17 DELHI | JAIPUR | PUNE | HYDERABAD | AHMEDABAD | LUCKNOW | CHANDIGARH | GUWAHATI © Vision IAS PT 365 - सं स् कृ ति मधुबनी तचत्रकारी, तबहार (Madhubani Painting, Bihar) • मधुबनी या तमतथला तचत्रकला तबहार के तमतथला क्षेत्र में प्रचतलि एक लोक तचत्रकला है। • यह स्थानीय रूपांकनों और चटकीले तमट्टी के रंगों के उपयोग के कारर् लोकतप्रय है। कलाकारों िारा िैयार दकए गए ितनज रंजकों (तमनरल्स तपगमेंट्स) के माध्यम से इस तचत्रकला को संपन्न दकया जािा है। • तिषय-िस्िु: लहंिू िेििा, िरबारी िृश्य, तििाह के िृश्य, सामातजक घटनाएं इत्यादि। • स्थान अंिरालों को भरने के तलए िनस्पतियों, जीिों ि पतक्षयों के रूपांकनों िथा ज्यातमिीय तिज़ाइनों का प्रयोग दकया जािा है। रोगन तचत्रकला, गुजराि (Rogan painting, Gujarat) • यह 300 िषि प्राचीन तशल्प परंपरा है, जो कभी गुजराि के कच्छ क्षेत्र में तिकतसि हुई थी। • सभी रोगन तशल्पकलाएं तबना िाका (अथािि् रूपरेिा या ब्लूलप्रंट) के तनर्मिि की जािी हैं। यह मूल रूप से बड़े कैनिास पर धािु की एक छोटी छड़ से रंगकमि करके तनर्मिि की जािी है। • रोगन िस्त्र पर तचत्रकारी करने की िकनीक है, तजसमें अरंिी के बीज के िेल से बने गाढ़े चमकीले पेंट जैसे पिाथि का उपयोग दकया जािा है। o रोगन एक िपिर् कला है; पेंट तचपतचपा होिा है और िूसरे कपड़े में स्थानांिररि हो जािा है। मोनपा हस्ितनर्मिि कागज, अरुर्ाचल प्रिेश (Monpa Handmade Paper, Arunachal Pradesh) • िािी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) िारा अरुर्ाचल प्रिेश के त्िांग में 1,000 िषि प्राचीन तिरासि कला को पुनजीतिि करने के तलए मोनपा हस्ितनर्मिि कागज तनमािर् इकाई की शुरूआि की गई है। • मोनपा एक महीन बनािट िाला हस्ितनर्मिि कागज है। इसे स्थानीय भाषा में मोन शुगु (Mon Shugu) कहा जािा है। यह ििांग में स्थानीय मोनपा जनजाति की जीिंि संस्कृति का एक अतभन्न अंग है। • इस कागज की उत्पतत्त 1,000 िषि पहले हुई थी। इसका अत्यतधक ऐतिहातसक और धार्मिक महत्ि है, क्योंदक इस कागज का उपयोग बौद्ध मठों में धमिग्रंथों एिं स्िुतिगान तलिने के तलए दकया जािा था। o मोनपा िारा इन कागजों को तिब्बि, भूटान, थाईलैंि और जापान जैसे िेशों में तिक्रय दकया जािा था, क्योंदक उस समय इन िेशों में कागज बनाने का कोई उद्योग मौजूि नहीं था। o हालांदक, धीरे-धीरे स्थानीय उद्योग में तगरािट शुरू हुई और चीनी कागज िारा स्ििेशी हस्ितनर्मिि कागज को प्रतिस्थातपि कर दिया गया। • मोनपा हस्ितनर्मिि कागज, शुगु शेंग (Shugu Sheng) नामक स्थानीय िृक्ष की छाल से बनाया जाएगा, तजसमें कुछ औषधीय गुर् भी होिे हैं।
  • 19. www.visionias.in 8468022022 18 © Vision IAS DELHI | JAIPUR | PUNE | HYDERABAD | AHMEDABAD | LUCKNOW | CHANDIGARH | GUWAHATI PT 365 - सं स् कृ ति पुतलक्कली या पुतलकली, के रल (Pulikkali, Kerala) • पुतलक्कली (बाघ नृत्य) के रल की लोककला का एक स्िरूप है। इस िषि, यह कोतिि-19 महामारी के कारर् ऑनलाइन मनाया जाएगा। • इसमें कलाकार अपने शरीर को बाघ की त्िचा की भांति पीली, लाल और काली धाररयों से रंग लेिे हैं िथा पारंपररक ोल सिृश्य िाद्ययंत्रों, जैसे- िदकल ि उिुक्क की लय पर नृत्य करिे हैं। • पुतलक्कली की शुरुआि िो शिाब्िी पूिि कोचीन के पूिि शासक महाराजा राम िमाि सकिन िमपुरन िारा की गई थी। ोकरा कलाकृ तियां, पतिम बंगाल (Dhokra Decorative Pieces, West Bengal) • ोकरा कलाकृ तियां, धािु की मूर्िियां हैं। इन्हें 'लुप्त मोम लाई िकनीक' (lost wax casting) का उपयोग करके कांस्य और िाम्र तमश्र धािुओं से तनर्मिि दकया जािा है। o यह नाम पतिम बंगाल के पारंपररक धािुकर्मियों, “ ोकरा िामर” जनजाति के नाम पर रिा गया है। • एक सबसे प्राचीन ोकरा कलाकृ ति मोहनजोिड़ो की ‘नृत्यांगना’ (dancing girl) है।
  • 20. www.visionias.in 8468022022 19 DELHI | JAIPUR | PUNE | HYDERABAD | AHMEDABAD | LUCKNOW | CHANDIGARH | GUWAHATI © Vision IAS PT 365 - सं स् कृ ति 3. नृत्य और संगीि (Dances & Music) 3.1. िेलो इंतिया यूथ गेम्स 2021 में स्ििेशी िेलों का समािेश (Inclusion of Indigenous Sports in Khelo India Youth Games 2021) सुर्ख़ियों में क्यों? हाल ही में, युिा कायिक्रम और िेल मंत्रालय ने चार स्ििेशी िेलों को िेलो इंतिया यूथ गेम्स (KIYG) 2021 का तहस्सा बनने को स्िीकृति प्रिान की है। इन िेलों में शातमल हैं- गिका, कलारीपयट्टु, थांग-टा और मल्लिंभ। साथ ही, योगासन को भी अनुमोिन प्रिान दकया है। अन्य संबंतधि िथ्य • KIYG, िेल के तिकास के तलए संशोतधि राष्ट्रीय कायिक्रम ‘िेलो इंतिया’ का एक तहस्सा है। इसे केंद्रीय मंतत्रमंिल िारा िषि 2017 में अनुमोदिि दकया गया था। • िेलो इंतिया कायिक्रम, िेश में िेले जाने िाले सभी िेलों के तलए एक मजबूि ांचा बनाकर और एक महान िेल राष्ट्र के रूप में भारि की स्थापना के तलए िेल संस्कृति को ज़मीनी स्िर पर पुनजीतिि करने हेिु प्रारंभ दकया गया है। भारि की अन्य माशिल आट्सि • ितमलनािु: तसलंबम और कुट्टू िररसई; • मतर्पुर: सररि सरक; • तहमाचल प्रिेश: ठोिा; • बंगाल: लाठी िेला; • महाराष्ट्र: मिािनी िेल; िथा • जम्मू और कश्मीर: स्िै (Squay) अन्य िथ्य एक प्रतिस्पधी िेल के रूप में योगासन • आयुष मंत्रालय िथा युिा कायिक्रम और िेल मंत्रालय ने योगासन को एक प्रतिस्पधी िेल के रूप में औपचाररक मान्यिा प्रिान करने की घोषर्ा की है। • इससे एथलीटों और अतधकाररयों को लाभ पहुंचाने के तलए नई िकनीकों एिं नई रर्नीतियों का िेलों में प्रिेश सुतनतिि होगा। • यह योग को प्रोत्सातहि करेगा, इसके लाभ के बारे में जागरूकिा का प्रसार करेगा और लोगों के शारीररक एिं मानतसक कल्यार् में सुधार करने में मिि करेगा। • योगासन, योग का एक अतभन्न और महत्िपूर्ि घटक है। • प्रस्िातिि प्रतिस्पधािओं में पारंपररक योगासन, कलात्मक योगासन (एकल), कलात्मक योगासन (युग्म में) लयबद्ध योगासन (युग्म में) आदि शातमल हैं। चार स्ििेशी िेल कल्लाररपयट्टू (Kallaripayattu) • यह के रल की एक माशिल आटि शैली है। • कल्लाररपयट्टू में तितभन्न िकनीकों, जैसे- तमपयट्टू (शरीर का शारीररक व्यायाम), िातड़पयट्टु (लाठी का उपयोग करके लड़ाई), िेलपयट्टू (िलिारों का उपयोग करके लड़ाई) और िेरुमकाई-प्रयोगम (मल्लयुद्ध) का उपयोग दकया जािा है। • कल्लाररपयट्टू स्ििेशी औषधीय प्रथाओं में तिशेषज्ञिा पर भी ध्यान कें दद्रि करिी है। o कलारी उपचार (तचदकत्सा की एक प्रर्ाली) इसके पाठ्यक्रम का एक भाग है।
  • 21. www.visionias.in 8468022022 20 © Vision IAS DELHI | JAIPUR | PUNE | HYDERABAD | AHMEDABAD | LUCKNOW | CHANDIGARH | GUWAHATI PT 365 - सं स् कृ ति मल्लिंभ (Mallakhamb) • यह मध्य प्रिेश का राजकीय िेल है। • यह भारि का एक पारंपररक िेल है। इसमें पहलिान एक काष्ठ के स्िंभ या लटकिे हुए रस्से पर योग ि कुश्िी के िािपेंचों का हिाई प्रिशिन करिे हैं। o मल्लिंभ तितभन्न प्रकार के होिे हैं, जैसे- बेंि पर मल्लिंभ, तनराधार (सहारे के तबना) मल्लिंभ, स्िंभ मल्लिंभ, लटकिा हुआ मल्लिंभ और रस्सी मल्लिंभ। • मल्लिंभ की उत्पतत्त 12िीं शिाब्िी में हुई प्रिीि होिी है। 1135 ई. में चालुक्य शासक सोमेश्वर िृिीय िारा रतचि एक ग्रंथ “मानसोल्लास” में इसका उल्लेि दकया गया है। यह महाराष्ट्र में भी लोकतप्रय है। गिका (Gatka) • यह काष्ठ की छड़ी का प्रयोग कर लड़ने की एक शैली है। इसकी उत्पतत्त 15िीं शिाब्िी में पंजाब में हुई थी। • यह िो या िो से अतधक कलाकारों के बीच छड़ी से लड़ी जाने िाली लड़ाई है। काष्ठ की छतड़यों को सोटी कहा जािा है जो िलिारों की भांति प्रयोग की जािी हैं। थांग टा • यह एक मतर्पुरी माशिल आटि है, तजसे िलिार और भाला चलाने की कला भी कहा जािा है। • यह युद्ध कौशल के प्रिशिन और िेि आराधना के प्रति समर्पिि होिी है। • इसमें श्वास लेने के िरीके , ध्यान और अनुष्ठानों जैसे शारीररक तनयंत्रर् के आंिररक अभ्यास के साथ, िलिार, भाला, िंजर आदि जैसे तितभन्न बाहरी शस्त्रों का समेदकि उपयोग दकया जािा है। 3.2. अन्य महत्िपूर्ि सुर्ख़ियां (Other Important News) भिाई (Bhavai) • यह सौराष्ट्र और उत्तरी गुजराि के गांिों में आयोतजि की जाने िाली एक पारंपररक नुक्कड़ नाटक (street play) शैली है। • यह एक अनूठी मंच कला (stage art) शैली है, तजसे 'भि' के साथ संपन्न दकया जािा है, तजसका िात्पयि भािनाओं को प्रकट करना होिा है। • यह तिशेष रूप से तितभन्न िेशभूषा और चाररतत्रक भूतमकाओं में पुरुष सिस्यों िारा प्रिर्शिि दकया जािा
  • 22. www.visionias.in 8468022022 21 DELHI | JAIPUR | PUNE | HYDERABAD | AHMEDABAD | LUCKNOW | CHANDIGARH | GUWAHATI © Vision IAS PT 365 - सं स् कृ ति है। • यह मुख्य रूप से िरगला समुिाय (Targala community) िारा आयोतजि दकया जािा है, तजसे भिाया (Bhavaya) भी कहा जािा है। इस समुिाय के लोग लहंिू और मुतस्लम िोनों धमों से संबंतधि हैं। गुजराि का लोकनृत्य गरबा (Garba -folk dance of Gujarat) • शब्ि "गरबो" संस्कृि शब्ि "गभििीप" से उत्पन्न हुआ है, तजसका अथि है गोलाकार तछद्र िाला एक तमट्टी का पात्र। • यह निरातत्र और िैिातहक समारोहों के िौरान "शति" की पूजा से संबंतधि है। • इसमें एक िीपक (गरबा िीप) या िेिी िुगाि की एक प्रतिमा को केन्द्रीय िृत्त में रिा जािा है। • इसमें लोग ोल की थाप पर अपने हाथों से िाली बजािे हुए केंद्र के आसपास नृत्य करिे हैं। यक्षगान, कनािटक (Yakshagana, Karnataka) • कनािटक का पारंपररक नाट्य रूप यक्षगान तमथकीय कथाओं िथा पुरार्ों पर आधाररि है। इसके प्रमुि लोकतप्रय िृत्तांि (एतपसोि) महाभारि और रामायर् से तलये गए हैं। • इसमें एक तितशष्ट शैली और रूप में नृत्य, संगीि, संिाि, पररधान, श्रृंगार िथा मंच संबंधी तनपुर्िाओं को संयोतजि दकया जािा है। • यक्ष का अथि उप अथिा गौर् िेििा िथा गान का अथि गीि होिा है। • यह माना जािा है दक इसकी उत्पतत्त 11िीं और 15िीं शिाब्िी के मध्य भति आंिोलन के िौरान हुई थी।
  • 23. www.visionias.in 8468022022 22 © Vision IAS DELHI | JAIPUR | PUNE | HYDERABAD | AHMEDABAD | LUCKNOW | CHANDIGARH | GUWAHATI PT 365 - सं स् कृ ति 4. भाषा और सातहत्य (Languages and Literature) 4.1. प्रबुद्ध भारि पतत्रका (Prabuddha Bharat Journal) सुर्ख़ियों में क्यों? हाल ही में, प्रबुद्ध भारि पतत्रका ने अपनी 125िीं िषिगांठ मनाई। प्रबुद्ध भारि के बारे में • प्रबुद्ध भारि (Awakened India), रामकृष्र् तमशन िारा प्रकातशि एक अंग्रेजी भाषा की मातसक पतत्रका है। • स्िामी तििेकानंि के अनुिेश पर प्रबुद्ध भारि की स्थापना मद्रास (अब चेन्नई) में िषि 1896 में पी. अयासमी, बी. आर. राजम अय्यर, जी. जी. नरतसम्हाचायि और बी. िी. कामेश्वर अय्यर िारा की गई थी। • यह िेश की “सबसे लंबे समय से प्रचतलि” मातसक अंग्रेजी पतत्रका है। • यह ऐतिहातसक, मनोिैज्ञातनक, सांस्कृतिक और सामातजक तिज्ञान तिषयों को शातमल करिे हुए सामातजक तिज्ञान एिं मानतिकी पर लेि प्रकातशि करिी है। • नेिाजी सुभाष चंद्र बोस, बाल गंगाधर तिलक, तसस्टर तनिेदििा, श्री अरलबंिो, सििपल्ली राधाकृष्र्न आदि जैसे सातहत्यकारों के लेि इस पतत्रका में प्रकातशि हुए हैं। • रामकृष्र् तमशन के अन्य प्रकाशन: o उिबोधन: यह बंगाली मातसक पतत्रका है। यह जनिरी 1899 में स्िामी तििेकानंि िारा आरंभ की गई थी। o िेिांि केसरी अंग्रेजी भाषा में प्रकातशि सांस्कृतिक एिं आध्यातत्मक पतत्रका है। इसकी शुरुआि िषि 1914 में हुई थी। o श्री रामकृष्र् तिजयम: यह ितमल मातसक पतत्रका है। इसका प्रकाशन िषि 1921 में प्रारंभ हुआ था। 4.2. अन्य महत्िपूर्ि सुर्ख़ियां (Other Important News) मंगोतलयाई कंजुर (Mongolian Kanjur) • संस्कृति मंत्रालय ने राष्ट्रीय पांिुतलतप तमशन (National Mission for Manuscripts: NMM) के िहि मंगोतलयाई कंजुर के 108 िॉल्यूम (अंकों) के पुनमुिद्रर् हेिु एक पररयोजना आरंभ की है। • मंगोतलयाई कंजुर िस्िुिः बौद्ध धमि से सबंतधि एक ग्रंथ (Buddhist canonical text) है। मंगोतलयाई बौद्धों िारा इसका काफी सम्मान दकया जािा है िथा िे मंदिरों में कंजुर की पूजा (अथािि् कंजुर की पंतियों का पाठ) करिे हैं। o मंगोतलयाई कंजुर मंगोतलया को एक सांस्कृतिक पहचान उपलब्ध कराने का भी स्रोि है। • भारि सरकार के पयिटन एिं संस्कृ ति मंत्रालय िारा फरिरी 2003 में राष्ट्रीय पांिुतलतप तमशन का शुभारंभ गया था। इसे पांिुतलतपयों में संरतक्षि ज्ञान के िस्िािेजीकरर्, संरक्षर् एिं प्रसार करने का अतधिेश प्राप्त है। िांगम (Thangam) • यह तिब्बि-बमाि भाषा पररिार (Tibeto-Burman language family) से संबंतधि एक मौतिक भाषा (बोली) है। o यह अरुर्ाचल प्रिेश के िांगम समुिाय िारा बोली जािी है। • इसे यूनेस्को के िल्िि एटलस ऑफ इंिेंजिि लैंग्िेज (UNESCO World Atlas of Endangered Languages) के िहि दक्ररटक्ली इंिेंजिि भाषा की श्रेर्ी में रिा गया है। रामकृष्र् तमशन के बारे में • रामकृष्र् तमशन की स्थापना कलकत्ता (अब कोलकािा) में स्िामी तििेकानंि िारा िषि 1897 में िोहरे उद्देश्य से की गई थी: o लहंिू संि रामकृष्र् (िषि 1836-86) के जीिन में सतन्नतहि िेिांि की तशक्षाओं का प्रचार करना; और o भारिीय लोगों की सामातजक तस्थतियों में सुधार करना। • यह एक परोपकारी और स्ियंसेिी संगठन है। • तमशन का आिशि िाक्य ‘आत्मनो मोक्षाथिं जगि् तहिाय च’ है। इसका आशय ‘अपने मोक्ष और संसार के तहि के तलए’ है। इसका प्रतिपािन स्िामी तििेकानंि ने दकया था। • यह संगठन िीन मुख्य आिशों पर आधाररि है, यथा- आराधना, आत्मा की संभातिि दिव्यिा और धमों के सामंजस्य के रूप में कायि करना।