व्यावहारिक मनोविज्ञान का अर्थ इतिहास (Meaning and History of Applied Pschology)Dr Rajesh Verma
हेनरी इलियट के अनुसार “यह मनोविज्ञान की ऐसी शाखा है जिसमें शुद्ध और विशेषकर प्रायोगिक मनोविज्ञान की विधियों एवं परिणामों को व्यहारिक समस्याओं और व्यवहारिक जीवन पर प्रयोग करने का प्रयास किया जाता है”
President Obama extends his best wishes to Muslim communities in the United States and around the world during Ramadan.http://www.whitehouse.gov/blog/Ramadan-Kareem/
प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानन्दन पन्त
छायावादी कवियों में सुमित्रानन्दन पन्त एक मात्र ऐसे कवि है, जिन्हें प्रकृति के सुकुमार कवि' के रुप में ख्याति प्राप्त है, प्रकृति पन्त जी के काव्य की मूल प्रेरक चेतना रही है, जैसा कि उसने स्वीकार किया है - “कविता करने की प्रेरणा मुझे सब से पहले प्रकृति निरीक्षण से मिली है, प्रकृति सौंन्दर्य में रमा कवि नारी सौंदर्य की भी उपेक्षा कर देता है -
"छोड द्रुमों की मृद छाया,
तोड प्रकृति की भी माया
बाले तेरे बालजाल में -
कैसे उलझा दूँ लोचन
भूल अभी से
इस जग को।"
पन्तजी के काव्य में प्रकृति परंपरागत सभी काव्य रूपों में विद्यमान है। आलम्बन के रुप में प्रकृति चित्रण में उनकी काव्य प्रतिभा प्रकृति के मानवीय रुप में लोचन चित्रण मिलती है। इस दृष्टि से "नौका विहार और परिवर्तन” कविताएँ उल्लेखनीय है -
शांत, स्निग्ध, ज्योत्सना उज्ज्वल।
अपलक, अनन्त, नीरव भूतल!
शैकत-शैया पर दुग्ध-धवल, तत्वंगी गंगा, ग्रीष्म विरल
लेटी है श्रान्त क्लान्त, निश्चल"|
पन्त जी ने गंगा नदी को मानवीय भाव, आकार, प्रकार, वेशभूषा, साज-सज्जा आदि ने सुसज्जित करके एक तापस-बाला के रूप में अत्यन्त सजीवता तथा सचेत के साथ अंकित किया है।
ग्रीष्म ऋतु की एक चाँदनी रात में कवि अपने मित्रों के साथ गंगा नदी के तट पर शार करने गये थे। कवि पन्त अपने मित्रों के साथ सैर करते समय कवि की भावनाएँ सहज ही फूट पड़ी। जिन्हें उन्होने थथाकत सुन्दर कविता के रूप में अंकित कर दिया है। जिस समय वे सैर कर रहे थे उस समय वातावरण बिलकुल शान्त एवं स्निग्ध था। राकेंदु की स्वच्छ किरणों की शीतलता वातावरण को आहलाद पूर्ण बना रही थी। अनंत आकाश निर्मल एवं स्वच्छ तथा मेघ रहित था। सारा भूतल निःशब्ध था। शौकत शैया पर धुंध-सी धवल, युवती-सी ग्रीष्म ताप से पीड़ित गंगा थककर निश्चिन्त होती है।
"अहेनिष्ठुर परिवर्तन?
तुम्हारा ही तांडव-नर्तन,
विश्व का करुण विवर्तन।
तुम्हारा ही नयनोन्मीलन,
निखिल उत्थान पतन"।
यह परिवर्तन बड़ा ही तिष्ठुर है। इसका तांडव सदैव होता रहता है और इसके नयनोन्मीलन से संसार में निरन्तर उत्थान एवं पतन होते रहते हैं। पन्त जी ने परिवर्तन कविता में संसार की अचरिता को देखकर पतन को निःश्वास भरते हुए दिखाया है, समुद्र की सिसकिया भरते और नक्षत्रों को सिहरते हुए बताया है –
“अचिरता देख जगती की आप,
शून्य भरता समीर निःश्वास,
डलता पातों पर चुपचाप,
ओस को आँसू नीलाकाश,
सिसक उठता समुद्र का मन,
सिहर उठते उडुगन”।
कविवर पन्त प्रकृति के सच्चे उपासक है। प्रकृति उसकी हास-रूदन की प्रेरक है, उद्धीपक है और उसकी अभिव्यक्ति का माध्यम भी है।
व्यावहारिक मनोविज्ञान का अर्थ इतिहास (Meaning and History of Applied Pschology)Dr Rajesh Verma
हेनरी इलियट के अनुसार “यह मनोविज्ञान की ऐसी शाखा है जिसमें शुद्ध और विशेषकर प्रायोगिक मनोविज्ञान की विधियों एवं परिणामों को व्यहारिक समस्याओं और व्यवहारिक जीवन पर प्रयोग करने का प्रयास किया जाता है”
President Obama extends his best wishes to Muslim communities in the United States and around the world during Ramadan.http://www.whitehouse.gov/blog/Ramadan-Kareem/
प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानन्दन पन्त
छायावादी कवियों में सुमित्रानन्दन पन्त एक मात्र ऐसे कवि है, जिन्हें प्रकृति के सुकुमार कवि' के रुप में ख्याति प्राप्त है, प्रकृति पन्त जी के काव्य की मूल प्रेरक चेतना रही है, जैसा कि उसने स्वीकार किया है - “कविता करने की प्रेरणा मुझे सब से पहले प्रकृति निरीक्षण से मिली है, प्रकृति सौंन्दर्य में रमा कवि नारी सौंदर्य की भी उपेक्षा कर देता है -
"छोड द्रुमों की मृद छाया,
तोड प्रकृति की भी माया
बाले तेरे बालजाल में -
कैसे उलझा दूँ लोचन
भूल अभी से
इस जग को।"
पन्तजी के काव्य में प्रकृति परंपरागत सभी काव्य रूपों में विद्यमान है। आलम्बन के रुप में प्रकृति चित्रण में उनकी काव्य प्रतिभा प्रकृति के मानवीय रुप में लोचन चित्रण मिलती है। इस दृष्टि से "नौका विहार और परिवर्तन” कविताएँ उल्लेखनीय है -
शांत, स्निग्ध, ज्योत्सना उज्ज्वल।
अपलक, अनन्त, नीरव भूतल!
शैकत-शैया पर दुग्ध-धवल, तत्वंगी गंगा, ग्रीष्म विरल
लेटी है श्रान्त क्लान्त, निश्चल"|
पन्त जी ने गंगा नदी को मानवीय भाव, आकार, प्रकार, वेशभूषा, साज-सज्जा आदि ने सुसज्जित करके एक तापस-बाला के रूप में अत्यन्त सजीवता तथा सचेत के साथ अंकित किया है।
ग्रीष्म ऋतु की एक चाँदनी रात में कवि अपने मित्रों के साथ गंगा नदी के तट पर शार करने गये थे। कवि पन्त अपने मित्रों के साथ सैर करते समय कवि की भावनाएँ सहज ही फूट पड़ी। जिन्हें उन्होने थथाकत सुन्दर कविता के रूप में अंकित कर दिया है। जिस समय वे सैर कर रहे थे उस समय वातावरण बिलकुल शान्त एवं स्निग्ध था। राकेंदु की स्वच्छ किरणों की शीतलता वातावरण को आहलाद पूर्ण बना रही थी। अनंत आकाश निर्मल एवं स्वच्छ तथा मेघ रहित था। सारा भूतल निःशब्ध था। शौकत शैया पर धुंध-सी धवल, युवती-सी ग्रीष्म ताप से पीड़ित गंगा थककर निश्चिन्त होती है।
"अहेनिष्ठुर परिवर्तन?
तुम्हारा ही तांडव-नर्तन,
विश्व का करुण विवर्तन।
तुम्हारा ही नयनोन्मीलन,
निखिल उत्थान पतन"।
यह परिवर्तन बड़ा ही तिष्ठुर है। इसका तांडव सदैव होता रहता है और इसके नयनोन्मीलन से संसार में निरन्तर उत्थान एवं पतन होते रहते हैं। पन्त जी ने परिवर्तन कविता में संसार की अचरिता को देखकर पतन को निःश्वास भरते हुए दिखाया है, समुद्र की सिसकिया भरते और नक्षत्रों को सिहरते हुए बताया है –
“अचिरता देख जगती की आप,
शून्य भरता समीर निःश्वास,
डलता पातों पर चुपचाप,
ओस को आँसू नीलाकाश,
सिसक उठता समुद्र का मन,
सिहर उठते उडुगन”।
कविवर पन्त प्रकृति के सच्चे उपासक है। प्रकृति उसकी हास-रूदन की प्रेरक है, उद्धीपक है और उसकी अभिव्यक्ति का माध्यम भी है।
The President’s Speech in Cairo: A New Beginning - HindiObama White House
President Obama’s speech in Cairo on America’s relationship with Muslim communities around the world. June 4th, 2009. http://www.whitehouse.gov/blog/newbeginning/
Nepali autosuggestions to overcome negative thoughtsSSRF Inc.
नकारात्मक विचारहरू हटाउन धेरै गाह्रो हुनुको कारण हो, हामी समस्याहरूलाई केवल शारीरिक र मानसिक समाधानको साथ सम्बोधन गर्न खोजदछौं । प्राय धेरै जसो समयमा, समस्या आध्यात्मिक स्तरमा हुन्छ यस कारण कम प्रभावकारी हुन जान्छ ।
Assamppt IN HINDI असम पीपीटी इन हिंदी {ART INTEGRATED PROJECT} description ...KALPESH-JNV
THIS PPT IS BASED ON ASSAM. EVERY THING ABOUT IT. IT CULTURE , HERITAGED.
इस PPT को ASSAM पर आधारित है। इसके बारे में सब कुछ। आईटी संस्कृति, हेरिटेज। सम या आसाम उत्तर पूर्वी भारत में एक राज्य है। असम अन्य उत्तर पूर्वी भारतीय राज्यों से घिरा हुआ है। असम भारत का एक सीमांत राज्य है जो चतुर्दिक, सुरम्य पर्वतश्रेणियों से घिरा है। यह भारत की पूर्वोत्तर सीमा २४° १' उ॰अ॰-२७° ५५' उ॰अ॰ तथा ८९° ४४' पू॰दे॰-९६° २' पू॰दे॰) पर स्थित है। संपूर्ण राज्य का क्षेत्रफल ७८,४६६ वर्ग कि॰मी॰ है। भारत - भूटान तथा भारत - बांग्लादेश सीमा कुछ भागो में असम से जुडी है। इस राज्य के उत्तर में अरुणाचल प्रदेश, पूर्व में नागालैंड तथा मणिपुर, दक्षिण में मिजोरम तथा मेघालय एवं पश्चिम में बंग्लादेश स्थित है।नाम की उत्पत्ति कामाख्या मन्दिर (नीलाचल, गुवाहाटी) कारेंगघर, आहोम राजा का महल
देवी डोल (शिवसागर)
राजाओं के मैदाम
रंग घर
तलातल घर
कलिया भोमोरा सेतु
चन्द्रकान्ता हस्तकला भवन (जोरहट)
डिब्रूगढ़ की एक चाय बगान
असम चाय
चित्र:Krishnakshi Kashyap Sattriya Dancer.jpg
कृष्णाक्षी कश्यप, सत्रीया नृत्यांगना
एक सींग वाला गैंडा
विशेषज्ञों के अनुसार 'आसाम' नाम काफी परवर्ती है। पहले इस राज्य को 'असम' कहा जाता था।
सामान्य रूप से माना जाता है कि असम नाम संस्कृत से लिया गया है जिसका शाब्दिक अर्थ है, वो भूमि जो समतल नहीं है। कुछ लोगों की मान्यता है कि "आसाम" संस्कृत के शब्द "अस्म " अथवा "असमा", जिसका अर्थ असमान है का अपभ्रंश है। कुछ विद्वानों का मानना है कि 'असम' शब्द संस्कृत के 'असोमा' शब्द से बना है, जिसका अर्थ है अनुपम अथवा अद्वितीय। आस्ट्रिक, मंगोलियन, द्रविड़ और आर्य जैसी विभिन्न जातियां प्राचीन काल से इस प्रदेश की पहाड़ियों और घाटियों में समय-समय पर आकर बसीं और यहाँ की मिश्रित संस्कृति में अपना योगदान दिया। इस तरह असम में संस्कृति और सभ्यता की समृद्ध परंपरा रही है।
कुछ लोग इस नाम की व्युत्पत्ति 'अहोम' (सीमावर्ती बर्मा की एक शासक जनजाति) से भी बताते हैं।
आसाम राज्य में पहले मणिपुर को छोड़कर बंगलादेश के पूर्व में स्थित भारत का संपूर्ण क्षेत्र सम्मिलित था तथा उक्त नाम विषम भौम्याकृति के संदर्भ में अधिक उपयुक्त प्रतीत होता था क्योंकि हिमालय की नवीन मोड़दार उच्च पर्वतश्रेणियों तथा पुराकैब्रियन युग के प्राचीन भूखंडों सहित नदी (ब्रह्मपुत्) निर्मित समतल उपजाऊ मैदान तक इसमें आते थे। परन्तु विभिन्न क्षेत्रों की अपनी संस्कृति आदि पर आधारित अलग अस्तित्व की माँगों के परिणामस्वरूप वर्तमान आसाम राज्य का लगभग ७२ प्रतिशत क्षेत्र ब्रहपुत्र की घाटी (असम की घाटी) तक सीमित रह गया है जो पहले लगभग ४० प्रतिशत मात्र ही था।
इतिहास
मुख्य लेख: असम का इतिहास
प्राचीन भारतीय ग्रंथों में इस स्थान को प्रागज्योतिच्ह के नाम से जाना जाता था। महाभारत के अनुसार कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध ने यहाँ की उषा नाम की युवती पर मोहित होकर उसका अपहरण कर लिया था। श्रीमद् भागवत महापुराणके अनुसार उषाने अपनी सखी चित्रलेखाद्वारा अनिरुद्धको अपहरण करवाया | यह बात यहाँ की दन्तकथाओं में भी पाया जाता है कि अनिरुद्ध पर मोहित होकर उषा ने ही उसका अपहरण कर लिया था। इस घटना को यहाँ कुमार हरण के नाम से जाना जाता है।
Jane se phele niche vali video dekh lo (VERY IMP)
https://www.youtube.com/watch?v=V5qMCRAZTN8
The President’s Speech in Cairo: A New Beginning - HindiObama White House
President Obama’s speech in Cairo on America’s relationship with Muslim communities around the world. June 4th, 2009. http://www.whitehouse.gov/blog/newbeginning/
Nepali autosuggestions to overcome negative thoughtsSSRF Inc.
नकारात्मक विचारहरू हटाउन धेरै गाह्रो हुनुको कारण हो, हामी समस्याहरूलाई केवल शारीरिक र मानसिक समाधानको साथ सम्बोधन गर्न खोजदछौं । प्राय धेरै जसो समयमा, समस्या आध्यात्मिक स्तरमा हुन्छ यस कारण कम प्रभावकारी हुन जान्छ ।
Assamppt IN HINDI असम पीपीटी इन हिंदी {ART INTEGRATED PROJECT} description ...KALPESH-JNV
THIS PPT IS BASED ON ASSAM. EVERY THING ABOUT IT. IT CULTURE , HERITAGED.
इस PPT को ASSAM पर आधारित है। इसके बारे में सब कुछ। आईटी संस्कृति, हेरिटेज। सम या आसाम उत्तर पूर्वी भारत में एक राज्य है। असम अन्य उत्तर पूर्वी भारतीय राज्यों से घिरा हुआ है। असम भारत का एक सीमांत राज्य है जो चतुर्दिक, सुरम्य पर्वतश्रेणियों से घिरा है। यह भारत की पूर्वोत्तर सीमा २४° १' उ॰अ॰-२७° ५५' उ॰अ॰ तथा ८९° ४४' पू॰दे॰-९६° २' पू॰दे॰) पर स्थित है। संपूर्ण राज्य का क्षेत्रफल ७८,४६६ वर्ग कि॰मी॰ है। भारत - भूटान तथा भारत - बांग्लादेश सीमा कुछ भागो में असम से जुडी है। इस राज्य के उत्तर में अरुणाचल प्रदेश, पूर्व में नागालैंड तथा मणिपुर, दक्षिण में मिजोरम तथा मेघालय एवं पश्चिम में बंग्लादेश स्थित है।नाम की उत्पत्ति कामाख्या मन्दिर (नीलाचल, गुवाहाटी) कारेंगघर, आहोम राजा का महल
देवी डोल (शिवसागर)
राजाओं के मैदाम
रंग घर
तलातल घर
कलिया भोमोरा सेतु
चन्द्रकान्ता हस्तकला भवन (जोरहट)
डिब्रूगढ़ की एक चाय बगान
असम चाय
चित्र:Krishnakshi Kashyap Sattriya Dancer.jpg
कृष्णाक्षी कश्यप, सत्रीया नृत्यांगना
एक सींग वाला गैंडा
विशेषज्ञों के अनुसार 'आसाम' नाम काफी परवर्ती है। पहले इस राज्य को 'असम' कहा जाता था।
सामान्य रूप से माना जाता है कि असम नाम संस्कृत से लिया गया है जिसका शाब्दिक अर्थ है, वो भूमि जो समतल नहीं है। कुछ लोगों की मान्यता है कि "आसाम" संस्कृत के शब्द "अस्म " अथवा "असमा", जिसका अर्थ असमान है का अपभ्रंश है। कुछ विद्वानों का मानना है कि 'असम' शब्द संस्कृत के 'असोमा' शब्द से बना है, जिसका अर्थ है अनुपम अथवा अद्वितीय। आस्ट्रिक, मंगोलियन, द्रविड़ और आर्य जैसी विभिन्न जातियां प्राचीन काल से इस प्रदेश की पहाड़ियों और घाटियों में समय-समय पर आकर बसीं और यहाँ की मिश्रित संस्कृति में अपना योगदान दिया। इस तरह असम में संस्कृति और सभ्यता की समृद्ध परंपरा रही है।
कुछ लोग इस नाम की व्युत्पत्ति 'अहोम' (सीमावर्ती बर्मा की एक शासक जनजाति) से भी बताते हैं।
आसाम राज्य में पहले मणिपुर को छोड़कर बंगलादेश के पूर्व में स्थित भारत का संपूर्ण क्षेत्र सम्मिलित था तथा उक्त नाम विषम भौम्याकृति के संदर्भ में अधिक उपयुक्त प्रतीत होता था क्योंकि हिमालय की नवीन मोड़दार उच्च पर्वतश्रेणियों तथा पुराकैब्रियन युग के प्राचीन भूखंडों सहित नदी (ब्रह्मपुत्) निर्मित समतल उपजाऊ मैदान तक इसमें आते थे। परन्तु विभिन्न क्षेत्रों की अपनी संस्कृति आदि पर आधारित अलग अस्तित्व की माँगों के परिणामस्वरूप वर्तमान आसाम राज्य का लगभग ७२ प्रतिशत क्षेत्र ब्रहपुत्र की घाटी (असम की घाटी) तक सीमित रह गया है जो पहले लगभग ४० प्रतिशत मात्र ही था।
इतिहास
मुख्य लेख: असम का इतिहास
प्राचीन भारतीय ग्रंथों में इस स्थान को प्रागज्योतिच्ह के नाम से जाना जाता था। महाभारत के अनुसार कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध ने यहाँ की उषा नाम की युवती पर मोहित होकर उसका अपहरण कर लिया था। श्रीमद् भागवत महापुराणके अनुसार उषाने अपनी सखी चित्रलेखाद्वारा अनिरुद्धको अपहरण करवाया | यह बात यहाँ की दन्तकथाओं में भी पाया जाता है कि अनिरुद्ध पर मोहित होकर उषा ने ही उसका अपहरण कर लिया था। इस घटना को यहाँ कुमार हरण के नाम से जाना जाता है।
Jane se phele niche vali video dekh lo (VERY IMP)
https://www.youtube.com/watch?v=V5qMCRAZTN8
1. लोक जैविक विविधता नोंदिही
Doulat A. Vaghamode
Biodiversity Project Fellow,
District Coordinator
Kolhapur, Solapur & Palghar.
Maharashtra State Biodiversity Board, Nagpur.
1
2. जैवववववधता म्हणजे काय ?
वनस्पती- औषधी, जंगलातील, लागवड के लेल्या शेतीतल्या
जाती, तण प्रजाती, पाण्यातील वनस्पती ( खाऱ्या व गोड्या
पाण्यातील), शैवाल, सवव प्रकारच्या सपुष्प व अपुष्प वनस्पती
प्राणी- वन्यप्राणी व पाळीव प्राणी
पक्षी – दिनचर, ननशाचर 2
3. जलचर – मासे ( खाऱ्या व
गोड्या पाण्यातील)
उभयचर – बेडूक, टोड
भूचर – सरपटणारे प्राणी साप,
सरडे, पाली इ. 3
4. कवचधारी – गोगलगाय, शंख-
शशंपल्यातील जीव
कीटक- फु लपाखरे, पतंग,
कोळीष्टक, असंख्य प्रकारचे छोटे
ककडे इ. 4
5. लोक जैववक ववववधता नोंिवही
लोक जैववक ववववधता नोंिवही तयार करणे हे स्थाननक जैववक
ववववधता व्यवस्थापन सशमतीचे मुख्य कायव आहे.
आपल्या कडील असलेल्या जैवववववधतेच्या संपत्तीची मादहती
असण्यासाठी
स्थाननक दठकाणच्या जैवववववधतेची ववशीष्ट मसुद्यामध्ये नोंि
करणे म्हणजेच लोक जैववक ववववधता नोंिवही तयार करणे.
व्यक्तीची वैयक्क्तक परंपरागत मादहती त्याच्या नावाने नोंि करणे.
5
6. लोक जैववक ववववधता नोंिवहीत अपेक्षक्षत असणारी
मादहती
जैववक ववववधता याववषयीचे आपल्याकडील असलेले परंपरागत
ज्ञान, आपल्याकडील शेतातील धान्याची मुळ वाण व त्यांच्या
जतन पद्धती, शेतीतल्या पाळीव जनावरांच्या स्थाननक मुळ
प्रजाती, औषधी वनस्पतीच्या उपचाराच्या पद्धती, यासारख्या
अनेक परंपरागत ज्ञानावर आधाररत असलेल्या जैवववववधता
संबधातील चालीरीती यांच्या नोंिी करणे.
6
7. जैवववववधतेच्या स्थानाच्या बाबतीतील भौगोशलक मादहती
प्रजातींच्या संरक्षण व संवधवनाच्या दृष्टीने आवश्यक असणारी मादहती
स्थाननक मंडळी वापरत असलेल्या प्रजाती, त्यांचा उपयोग व त्यातून
त्यांना शमळत असलेला फायिा
स्थाननक मंडळी वापरत असलेल्या प्रजातींची उपलब्धता व त्यांच्या
शाश्वत वापराचे प्रमाण
स्थाननक दठकाणच्या ववकास कामामुळे जैवववववधतेवर होणारा
संभाव्य पररणाम
7
8. लोक जैववक ववववधता नोंिवही का व कशासाठी
?
लोक जैववक ववववधता नोंिवही ही स्थाननक जैवववववधतेची नोंि
असलेला िस्त
स्थाननक दठकाणच्या जैवववववधतेचा योग्य प्रमाणात वापर व
ननयमन करून ववकासासाठी उत्पन्नाचा स्रोत ननमावण
करण्याकररता
लाभाचे न्यायी व समन्यायी वाटप होणेकररता
बौद्धधक संपिा हक्क अबाधधत ठेवण्याकररता
8
9. लोक जैववक ववववधता नोंिवहीचे महत्व व
साध्य
बाहेरील ककं वा वविेशी कं पन्याकडून आपल्या स्थाननक ज्ञानाच्या
आधारे घेतल्या जाणाऱ्या स्वाशमत्व हक्कांवर बंधन आणण्यासाठी
एकं िरीत तयार होणाऱ्या जैववक ववववधता नोंिवही मुळे स्थाननक
जैववक ववववधता व्यवस्थापन सशमतीला स्वतःच्या क्षेराकररता
जैवववववधता व्यवस्थापन आराखडा तयार करता आला पादहजे.
9
10. स्थाननक दठकाणच्या उपलब्ध जैव ववववधतेचा ककती प्रमाणात
वापर आहे याची मादहती
या जैवववववधतेच्या वापराची सवाांगीण नोंि व त्याचा शाश्वतपणे
वापर याची मादहती
यातून स्थाननक मंडळीना रोजगार उपलब्ध होणे, त्यांचे आरोग्य व
अन्नाची उपलब्धता यासंबधीचे प्रश्न सोडववता येवू शकतात.
10
11. नोंिवही तयार करण्याची पद्धत
प्रथमतः स्थाननक दठकाणी जैववक ववववधता
व्यवस्थापन सशमती स्थापन करणे.
स्थाननक लोकामध्ये जैवववववधता व त्याच्या
नोंिीबाबत जनजागृती करणे.
यात सहभागी होणाऱ्या मंडळीना जैव
ववववधतेची तसेच पारंपाररक ज्ञानाची नोंि कशी
करावी याचे प्रशशक्षण िेणे
11
13. तज्ञ तांत्ररक सहाय्य गटाच्या व स्थाननक जै. वव. व्य. सशमतीच्या
मितीने संकशलत के लेल्या मादहतीचे पृथ्थकरण व मादहतीची
पडताळणी करून घेणे.
सवव मादहतीचे व स्तोरांचे संगणकीयकरण करून घेणे.
13
14. भाग ३ – सवेक्षणासाठी मागविशवक पुक्स्तका
स्थाननक दठकाणाची सववस्तर मादहती
सामाक्जक – आधथवक सवेक्षण
नैसधगवक स्रोताचे सवेक्षण व नोंि – अजैववक व जैववक
स्रोत
14
15. जैवववववधता नोंिवही – तांत्ररक बाबी
लोक जैववक ववववधता नोंिवही तयार करण्याकररता लागणारा
कालावधी
यात बिलत्या हंगामानुसार जैवववववधतेच्या नोंिी होणे
आवश्यक
साधारण १ ते ३ वषव
15
16. लोक जैववक ववववधता नोंिवही प्रकाशन
लोक जैववक ववववधता नोंिवही तयार झाल्यावर त्यातील महत्वाची
असणाऱ्या मादहतीची गोपनीयता सांभाळण्याची जबाबिारी स्थाननक
जैववक ववववधता व्यवस्थापन सशमतीची तसेच नोंिवही तयार
करण्यात हात असलेल्या सवव संस्था व सिस्यांची राहील.
या अंनतमतः तयार झालेल्या नोंद्वहीच्या ककमान ३ मुदित प्रती करणे
अपेक्षक्षत आहे.
यापैकी १ प्रत दह स्थाननक जैववक ववववधता व्यवस्थापन सशमतीच्या
ताब्यात असेल.
२ प्रती राज्य जैवववववधता मंडळाकडे पाठववल्या पादहजेत यापैकी एक
राष्रीय जैवववववधता प्राधधकरणाकडे पाठववणे अपेक्षक्षत आहे 16
17. जैवववववधता नोंिवही प्रकाशन
जोपयांत राष्रीय जैवववववधता प्रधीकरणाकडून ककं वा राज्य
जैवववववधता मंडळाकडून मान्यता शमळत नाही, तोपयांत गोपनीय
प्रकारची कोणतीही मादहती ही जनसामान्यापयांत इलेक्रोननक
माध्यमाद्वारे ककं वा छापील स्वरूपात पोहचता कामा नये.
जर एखाद्या स्थाननक जैवववववधता सशमतीस त्यांची सगळीच
मादहती गोपनीय ठेवायची असेल तर मंडळ त्याचा मान राखून त्या
प्रकारची उपाययोजना करेल.
17
18. म. रा. जै. वव. मंडळाची जै. वव. नोंिवही
संिभावतील उद्दिष््ये
िरवषी ककमान काही जैवववववधता नोंिवह्या तयार करण्यासाठी
आधथवक सहाय्य - उपलब्ध करून िेणार आहे.
यावषी जवळपास १०० % जैवववववधता सशमत्यानी त्यांचे
स्वननधीतुन जैवववववधता नोंिवही तयार करावयाच्या आहेत.
18
19. आव्हाने
ववववध संस्थांशी संपकव व त्याचे व्यवस्थापन
योग्य वनस्पती / प्राणी तज्ञांचा अभाव
ननधीची उपलब्धता
स्थाननक लोकामधील जागरूकतेचा अभाव
19
20. उपाययोजना
शाळा, महाववद्यालये यातील शशक्षक तसेच ववध्याथ्यावना सहभागी
करणे.
संशोधक, स्थाननक शेतकरी व उत्स्फु तवपणे येणारे स्वयंसेवक
वनस्पती व प्राणी यांच्या प्रजाती ओळखण्यासाठी छो्या मागविशवक
पुक्स्तका तयार करणे.
स्थाननक लोकामध्ये जनजागृती करणेसाठी कायवक्रम/कायवशाळा
/बैठकांचे आयोजन करणे.
या कायवक्रमांमध्ये ग्रामपंचायत सिस्य व वैिू लोकांना सहभागी
करणे.
जैवववववधता नोंिवही तयार करण्यात सहभागी असणाऱ्या सवव
स्वयंसेवी संस्थाना सहभागी करणे.
स्थाननक जै. वव. व्य. सशमती बळकट करण्याच्या दृष्टीने प्रयत्न
20
21. धन्यवाि !
िौलत आ. वाघमोडे
क्जल्हा समन्वयक
कोल्हापूर, सोलापूर, परभणी व पालघर
महाराष्र राज्य जैवववववधता मंडळ, नागपूर
पुणे उपकायावलय, पुणे
भ्र.क्र.- ८९७५०३१४३२
९०२८१००४३२
21